निजी स्कूलों ने लगाया नोटिस, दाखिला चाहिए तो फीस भरें अभिभावक -5 वर्षों में 1800 करोड़ का बकाया
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र. शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर दाखिला देने की कवायद मुश्किल में फंसती नजर आ रही है। सरकार से पैसे न मिलने से परेशान कई निजी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों ने नोटिस लगा दिया है कि आरटीई के तहत लॉटरी में नाम आने के बाद भी वे बच्चों को दाखिला नहीं देंगे। अभिभावकों को कहा गया है कि वे इस मामले में स्कूल से किसी तरह की पूछताछ न करें और सीधे स्कूली शिक्षा विभाग से संपर्क करें। दरअसल ज्यादातर विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में ही प्रवेश लेते हैं। लेकिन अब इन स्कूलों ने नोटिस लगा दिया है कि यदि अभिभावक बच्चे का दाखिला कराना चाहते हैं तो उन्हें फीस भरनी होगी और जब सरकार निधि देगी तो पैसे वापस किए जाएंगे। पहले से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी अब स्कूल पत्र भेज कर उन्हें फीस चुकाने को कह रहे हैं।
स्कूल चलाने के लिए पैसे चाहिए
महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टी एसोसिएशन (मेस्टा) के संस्थापक अध्यक्ष संजयराव तायडे पाटील ने कहा कि आरटीई के तहत राज्य सरकार पर निजी अंग्रेजी स्कूलों का 1800 करोड़ रुपए बकाया है। हम कई बार सरकार से यह रकम चुकाने का आग्रह कर चुके हैं। लेकिन कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। स्कूल चलाने के लिए हमें पैसे चाहिए। इसीलिए हमने स्कूलों के बाहर नोटिस लगाया है।
5 साल से बकाया
मेस्टा का दावा है कि आरटीई के तहत 2017 से सरकार की निधि बाकी है। हर विद्यार्थी की शिक्षा के लिए सरकार निजी स्कूलों को प्रति वर्ष 17 हजार 620 रुपए देती थी। लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के चलते अनुदान की रकम घटा कर प्रति विद्यार्थी 8 हजार रुपए कर दी गई। इस साल सरकार ने फिर एक बार पुरानी दर से अनुदान देने का फैसला किया। स्कूल इसलिए परेशान हैं कि बकाया बढ़ता जा रहा है, लेकिन भुगतान नहीं हो रहा है।
4 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों दाखिला
आरटीई के तहत राज्य के 9 हजार 534 स्कूलों में 4 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को मुफ्त प्रवेश दिया जाता है। विद्यार्थियों की फीस की 60 फीसदी निधि केंद्र सरकार जबकि 40 फीसदी राज्य सरकार देती है।
Created On :   26 April 2023 9:38 PM IST