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जिले के 26 प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चें को नहीं मिलेगा शिक्षा का अधिकार
डिजिटल डेस्क, कटनी। जिले के 26 स्कूलों में सैकड़ों बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एडमिशन की प्रक्रिया में संशय के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल जिले के छह ब्लाकों में ये वे निजी स्कूल हैं। जिनकी मान्यता अलग-अलग स्तर पर अटकी है। जब तक मान्यता की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक बच्चों को प्रवेश भी नहीं मिलेगा। आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया शुरु हो जाने से आसपास के स्कूलों के लिए आवेदन करने वाले अभिभावकों के हाथ निराशा लग रही है।
सभी स्तरों पर लापरवाही-
इस तरह की लापरवाही सभी स्तरों पर बरती गई है। निरीक्षण हेतु ब्लाक शिक्षा अधिकारी स्तर पर 6 स्कूलों की मान्यता लंबित है। जिला शिक्षा कार्यालय के स्तर पर भी ऐसे 6 स्कूल हैं। जिनकी फाइल में अधिकारी अभी तक स्वीकृत या अस्वीकृत का निर्णय नहीं ले सके हैं। लॉक करने हेतु जिला शिक्षा अधिकारी स्तर पर 14 आवेदन लंबित हैं। जिला शिक्षा कार्यालय के कर्मचारी अरसे से इस मामले में लापरवाही बरत रहे हैं।
15 से शुरु हो चुकी है प्रक्रिया-
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 15 जून से प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। पोर्टल पर आनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार हेतु विकल्प खुलने के साथ ही ऑनलाइन आवेदन के सत्यापन का कार्य भी किया जा रहा है। 30 जून तक का समय पोर्टल पर आनलाइन आवेदन एवं त्रुटि सुधार हेते दिया गया है। 5 जुलाई को आनलाइन लाटरी, 6 जुलाई को स्कूलों में आरटीई मोबाइल एप के माध्यम से एडमिशन की रिपोर्टिंग शुरु की जाएगी। 16 जुलाई तक यह काम अधिकारी कर लेंगे।
प्रोविजनल सूची जारी-
आरटीई कोटा के अंतर्गत ऑनलाइन लॉटरी में सम्मिलित स्कूलों की प्रोविजनल सूची जारी कर दी गई है। जिसमें बड़वारा ब्लाक में 67 स्कूल हैं। बहोरीबंद में 58, ढीमरखेड़ा में 39, कटनी में 70, रीठी में 25, विजयराघवगढ़ में 52 स्कूलों के प्रवेश दिया जाना है। जनशिक्षकों का कहना है कि प्रोविजनल सूची के आधार पर आसपड़ोस की सीमा को चिन्हित किया जा चुका है।
ड्रापआउट की भी समस्या-
निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश लेने के बाद भी कई बच्चे ऐसे रहते हैं, जो पुराने स्कूलों से बीच में ही नाता तोड़ लेते हैं। ड्रापआउट की भी समस्या जिले में बनी हुई है। दस वर्ष के अंतराल में करीब 1300 विद्यार्थी ऐसे रहे, जो शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश लेने के बाद अगली कक्षाओं में जब पहुंचे तो टीसी लेते हुए दूसरे स्कूलों में चले गए। वर्ष 2017-18 में 131, 2018-19 में 128 और 2019-20 में इनकी संख्या 140 रही। वर्ष 2020-21 में संक्रमण काल के दौरान स्कूल से ड्रापआउट होने वाले बच्चों की संख्या कम ही रही।
इनका कहना है-
जिला स्तर से मान्यता संबंधी प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है। यदि कहीं पर किसी स्तर में लंबित है तो उनकी जानकारी लेकर उन्हें भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
(पृथ्वीपाल सिंह, डीईओ)
Created On :   29 Jun 2022 4:14 PM IST