जांच में खुलेगी गुणवत्ताहीन खेल सामग्रियों की पोल

Polls of quality sports goods will be exposed in the investigation
जांच में खुलेगी गुणवत्ताहीन खेल सामग्रियों की पोल
शहडोल जांच में खुलेगी गुणवत्ताहीन खेल सामग्रियों की पोल

डिजिटल डेस्क, शहडोल।संभाग के तीनों जिलों शहडोल, उमरिया एवं अनूपपुर के शासकीय स्कूलों में सप्लाई की गई गुणवत्ताहीन खेल सामग्रियों की सच्चाई बहुत जल्द सामने आएगी। लगातार मिल रही शिकायतों एवं दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित खबरों को संज्ञान में लेते हुए कमिश्नर राजीव शर्मा द्वारा जांच बैठा दी गई है। कमिश्नर के निर्देश पर संयुक्त संचालक लोक शिक्षण शहडोल द्वारा तीनों जिलों के लिए अलग-अलग जांच दल का गठन किया गया है। आदेश जारी करते हुए कहा गया है कि प्रत्येक विद्यालयों में हुई खेल सामग्रियों की जांच करते हुए  २० मार्च तक प्रतिवेदन सौंपें।
गौरतलब है कि प्राथमिक स्तर से खेलों को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा खेलो इंडिया खेलो के तहत कर वर्ष करीब १.९७ करोड़ रुपए की राशि स्कूलों के लिए जारी की जाती है। लेकिन स्कूलों से क्रय कराने की बजाय ऊपर स्तर से कोरे चेक लेकर मन माफिक फर्मों का बिल लगाकर घटिया खेल सामग्री सप्लाई करा दी जाती है। यह खेल कई वर्षों से चल रहा है। कहा जा रहा है कि यदि बारीकी से जांच हो जाए कई करोड़ का घोटाला सामने आ सकता है।
तीनों जिलों में होगी जांच
तीनों जिलों के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में प्रदाय की गई खेल सामग्रियों की जांच कराई जाएगी। कमिश्नर के निर्देशानुसार जेडी द्वारा शहडोल, अनूपपुर व उमरिया जिले के लिए टीमें बनाई गई हैं। दो-दो सदस्यीय टीम में प्राचार्य एवं संबंधित जिलों के खेल शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है। जारी आदेश के अनुसार शहडोल जिले के समस्त स्कूलों की जांच के लिए शासकीय मॉडल स्कूल के प्राचार्य डॉ. एमएल पाठक व रघुराज स्कूल के पीटीआई मोहम्मद रईस अहमद को जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार उमरिया जिले में शासकीय कुमार मंगलम उमावि नौरोजाबाद के प्राचार्य अशोक पाण्डेय, पीटीआई मोहम्मद सलीम तथा अनूपपुर जिले में जांच के लिए शासकीय माडल उमावि जैतहरी के प्राचार्य ओमकार सिंह मरकाम तथा शासकीय उमावि देवहरा के पीटीआई विश्वराज शुक्ला को जांच की जिम्मेदारी दी गई है।
समिति इन बिंदुओं पर करेगी जांच
जिन स्कूलों के लिए राशि आवंटित हुई है उनकी सूची लेकर वहां प्रदाय की गई सामग्री की जांच के साथ जिस संस्था का बिल लगाया गया, उसने कहां से और किस रेट पर क्रय किया है। क्योंकि कोरे चेक में शिक्षकों द्वारा संस्था का नाम दर्ज नहीं किए गए हैं, रायटिंग मिलान से पोल खुल सकती है। ९० फीसदी शिक्षकों को पता ही नहीं कि फर्म आखिर है कहां। जीएसटी व टिन नंबर के जरिए सारा खेल खेला जा रहा है। गोहपारू में तो बीआरसी स्तर से ही सप्लाई की बाते सामने आई हैं। शहंशाह आश्रम जैसे कई स्कूलों में हजारों की सामग्री भेज दी गई जहां खेल मैदान ही नहीं है। सबमिट बिलों में पृथक-पृथक सामग्री के दाम दर्ज हैं या नहीं इसकी जांच की जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण जांच का यह बिंदु होगा कि संस्था के किस खाते से राशि जारी हुई, क्योंकि अनेक प्रकरणों में बंद हो चुके खातों को पुन: शुरु कराकर भुगतान कराया गए हैं।

Created On :   11 March 2022 5:49 PM IST

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