चंद्रपुर में फ्लाई ऐश से बढ़ा पोल्यूशन, एनजीटी को भेजा मामला

Poll ash increased in Chandrapur, case sent to NGT
चंद्रपुर में फ्लाई ऐश से बढ़ा पोल्यूशन, एनजीटी को भेजा मामला
चंद्रपुर में फ्लाई ऐश से बढ़ा पोल्यूशन, एनजीटी को भेजा मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर । चंद्रपुर में थर्मल पॉवर स्टेशन से निकलने वाली फ्लाई ऐश से बढ़ने वाले प्रदूषण को रोकने पर केंद्रित जनहित याचिका को नागपुर खंडपीठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पास सुनवाई के लिए भेज दिया है। एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मधुसूदन रूंगटा ने कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार वर्ष 2016 में चंद्रपुर में प्रदूषण कम होने के कारण उद्योग बंदी हटाई गई थी, लेकिन इसके महज एक साल बाद हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सर्वेक्षण में चिंताजनक स्थिति सामने आई कि क्षेत्र की जमीनों में प्रदूषण बढ़ रहा है।

सर्वेक्षण के अनुसार शहर में प्रदूषण 58.62 निर्देशांक से बढ़ कर 62.2 तक पहुंच गया था, जिससे शहर अति प्रदूषित की श्रेणी में चला गया। याचिकाकर्ता के अनुसार चंद्रपुर के थर्मल पॉवर स्टेशन से निर्मित बिना उपयोग की फ्लाई ऐश सीधे इरई नदी में मिलने से नदी प्रदूषित हो गई। इससे शहर में कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ीं। याचिका में फ्लाई एेश के योग्य निराकरण का मुद्दा उठाया गया था। मामला अब एनजीटी के पास भेजा गया है।  

मोबाइल टॉवर के अतिरिक्त शुल्क को हाईकोर्ट में चुनौती
मोबाइल टॉवर लगाने के लिए 30 हजार रुपए शुल्क तय करने के नागपुर महानगरपालिका के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ मंे चुनौती दी गई है। मामले में याचिकाकर्ता इंडस टॉवर्स लिमिटेड कंपनी का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने मनपा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। तब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ ठोस कार्रवाई ना करने के आदेश दिए गए है। शहर में विविध नेटवर्क कंपनियों द्वारा जगह जगह मोबाइल टॉवर लगाए गए है।

29 जनवरी 2019 को मनपा ने एक टॉवर के लिए 30 हजार रुपए शुल्क वसूल करने का निर्णय लिया था। इसके अनुसार याचिकाकर्ता काे वसूली के लिए नोटिस जारी किया गया। शुल्क नहीं भरने पर टॉवर को बिजली आपूर्ति खंडित करने की चेतावनी दी गई थी। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली है। याचिकाकर्ता के अनुसार शहर में 361 मोबाइल टाॅवर है। इंडियन टेलिग्राफ्स राईट्स-2016 के अनुसार 17 फरवरी 2018 को टेलीकॉम टॉवर संबंधी नीति तय की गई। इसके अनुसार एक टॉवर के लिए 10 हजार रुपए प्रशासनिक शुल्क तय किया गया था, लेकिन महानगरपालिका ने शुल्क की इस सीमा बढ़ाकर किर 30 हजार कर दिया।  हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने मनपा के इस फैसले को रद्द करने की प्रार्थना की है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम.जी.भांगडे और मनपा की ओर से एड.जेमिनी कासट ने पक्ष रखा।  

Created On :   30 Jan 2020 7:45 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story