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पीसीबी शहडोल की लैब को एनएबीएल से मिली मान्यता
डिजिटल डेस्क, शहडोल । मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल की प्रयोगशाला (लैब) को नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनबीएल) से मान्यता मिल गई है। सतना के बाद एनएबीएल संस्था से मान्यता प्राप्त विंध्य क्षेत्र की यह दूसरी प्रयोगशाला बन गई है। प्रयोगशाला को जल विश्लेषण प्रचालक पीएच, बीओडी, सीओडी, टीएसएस, क्लोराइड, ऑयल एंड ग्रीस के विश्लेषण को मान्यता प्रदान की गई।
पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा के अनुसार लैब को एनएबीएल से आईएसओ/आईईसी 17025: 2017 के तहत मान्यता मिली है। इसके लिए पूरी टीम काफी दिनों से लगी हुई है। लैब में अंतरराष्ट्रीय स्तर के केमिकल्स, फ्लास्क आदि उपलब्ध हैं। एनएबीएल असेसमेंट टीम द्वारा क्वालिटी और टेस्टिंग की प्रक्रिया का मूल्यांकन करने के बादमान्यता दी गई है। उन्होंने बताया कि लैब को एनएबीएल की मान्यता मिलने से कोर्ट में प्रकरणों में त्वरित सुनवाई होती है।
बोर्ड की अधिसूचित प्रयोग शाला
पीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय की यह प्रयोगशाला राज्य बोर्ड की अधिसूचित प्रयोगशाला है। यहां वेट लैब में औद्योगिक वेस्ट वाटर, मिनरल वाटर अन्य पानी एवं गीले तरल पदार्थों में उपलब्ध प्रदूषण की जांच की जाती है। इसी प्रकार ड्राई लैब में वातावरण में उपलब्ध धूल के कण व गैसों की उपलब्धता का परीक्षण किया जाता है। वहीं नेशनल एयर मॉनिटरिंग प्रोग्राम द्वारा जिले में वायु प्रदूषण की सतत मॉनिटरिंग तथा सीएएक्यूएमएस सिस्टम द्वारा लगातार गैसों की उपलब्धता और प्रदूषण की स्थिति की मॉनिटरिंग की जाती है। क्षेत्रीय कार्यालय की प्रयोगशाला परिवेशीय वायु उपकरणों सीएएक्यूएमएस उपकरण एवं फ्यूल गैस मीटर उपकरण, कार्बन मोनो आक्सइड परिमापन उपकरण, ध्वनि स्तर मापन उपकरण तथा पेट्रोल एवं डीजल चालित वाहन प्रदूषण मापन उपकरणों से युक्त है।
पीने योग्य होता है ए श्रेणी का जल
नदी जल की गुणवत्ता को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 5 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। ए श्रेणी के जल में पीएच 6.5 से 8.5, घुलित ऑक्सीजन 7 मिग्रा/लीटर, बीओडी 5-10 मिग्रा/लीटर, सीओडी 30-50 मिग्रा/लीटर तथा कॉलीफॉर्म 200-500 होना चाहिए। श्रेणी ए का पानी डिसइन्फेक्शन कर पीने के कार्य में लाया जा सकता है। श्रेणी बी के जल में घुलित ऑक्सीजन 6 मिग्रा/ली, पीएच 6.5 से 8.5, बीओडी 2 मिग्रा/ली तथा टोटल कॉलीफॉर्म 500 होना चाहिए। यह पानी आम जनता के नहाने के उपयोग के लिए उपयुक्त पाया गया है। श्रेणी सी एवं डी का पानी उपचार के उपरांत आम जन-मानस के उपयोग में लाया जा सकता है। श्रेणी ई का पानी प्रदूषित होता है। अधिकारियों के अनुसार पीने योग्य पानी में डीओ 6 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा, बीओडी 2 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम व कॉलीफार्म एमपीए प्रति 100 मिली होना चाहिए।
Created On :   23 Feb 2022 4:55 PM IST