कीमोथेरेपी से साइड इफेक्ट होने पर मरीजों को एक फोन कॉल पर मिलेगी चिकित्सकीय मदद
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डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। कीमोथेरेपी के बाद अधिकांश कैंसर मरीजों को साइड इफेक्ट होते हैं। इन मरीजों को समय पर चिकित्सकीय मदद मिले इसके लिए टाटा कैंसर अस्पताल ने एक नई पहल की है। इसके तहत 'केमो केयर यूनिट' शुरू की गई है। यहां पर मरीज एक फोन कॉल पर चिकित्सकीय मदद पा सकेंगे। टाटा ने नवंबर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह यूनिट शुरू किया था, जिसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। बता दें कि टाटा कैंसर अस्पताल में रोजाना एक हजार से अधिक कैंसर मरीजों की केमोथेरेपी की जाती है। केमोथेरेपी के लिए यहां मरीज सिर्फ मुंबई से ही नहीं बल्कि राज्य व देश के कोने-कोने से आते हैं। अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग का मानना है कि 50 फीसदी से ज्यादा मरीजों को केमो थेरेपी के बाद साइड इफेक्ट होते हैं। हालांकि कई मरीजों के दूर-दराज इलाकों के होने के कारण इस साइड इफेक्ट के इलाज के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए केमो के बाद होनेवाले साइड इफेक्ट में मरीजों को चिकित्सकीय मदद देने के लिए केमोथेरेपी केयर यूनिट शुरू किया गया है।
अगस्त में ही बनाई गई योजना
मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. कुमार प्रभास ने बताया कि यह परियोजना अगस्त, 2022 में 10 नर्सों के चयन के साथ शुरू हुई, जिन्हें कीमोथेरेपी से संबंधित दुष्प्रभावों के प्रबंधन के संबंध में दो महीने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इसके बाद नर्सों को तीन शिफ्टों में इस केमो केयर यूनिट में तैनात किया गया है, जिससे मरीज स्वास्थ्य कर्मियों से 24 घंटे संपर्क कर सकते हैं। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस केयर यूनिट को नवंबर में शुरू किया गया, जिसका फायदा अभी तक 2,000 से अधिक मरीजों ने उठाया है। अब इस सेवा को स्थायी रूप से शुरू किया जा रहा है।
इस तरह मिलेगी मदद
• कीमोथेरेपी निर्धारित होने पर रोगियों को केमो केयर यूनिट के टेलीफोन नंबर दिए जाते हैं, जहां वे कीमोथेरेपी लेने के बाद किसी भी साइड इफेक्ट का अनुभव होने पर कॉल कर सकते हैं।
• नर्सेस रोगियों की शिकायतों की गंभीरता का आकलन करती हैं।
• यदि शिकायतें मामूली हैं तो नर्सेस रोगियों को उचित जीवन शैली या आहार संशोधन या दवाएं लेने की सलाह देती हैं जो पहले से ही रोगी के लिए निर्धारित है जैसे मतली और उल्टी।
• यदि शिकायतों को गंभीर श्रेणी का माना जाता है तो रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे या तो पास के क्लिनिक में या टाटा मेमोरियल अस्पताल में केजुअल्टी में जाएं।
• यदि रोगी पास के क्लिनिक या अस्पताल में जाता है तो नर्सेस उन संबंधित अस्पतालों / क्लीनिकों में डॉक्टरों के साथ समन्वय करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि रोगी की शिकायतों का समाधान किया गया है।
• यदि रोगी टाटा अस्पताल के कैजुअल्टी में आता है तो नर्सेस कैजुअल्टी में ऑन कॉल चिकित्सक के साथ समन्वय करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि रोगियों का इलाज कम से कम समय में किया जाए।
•यह चिकित्सकों के मार्गदर्शन में किया जाता है।
• लॉग बुक का रखरखाव भी नर्सों द्वारा किया जाता है, जिसमें रोगी का नाम, केस नंबर, कीमोथेरेपी दवाएं, रोगियों की शिकायतें, नर्सों द्वारा किए गए हस्तक्षेप, समस्या का समाधान / गैर समाधान और अनुसूची जैसे दस्तावेज शामिल होते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समस्या का समाधान होता है।
Created On :   27 March 2023 7:42 PM IST