बेटी की जिद के आगे नतमस्तक हुए माता-पिता, धूमधाम से किया बेटी का नागदेवता के साथ विवाह

Parents bowed down to daughters insistence, pompously married daughter to Nagdevata
बेटी की जिद के आगे नतमस्तक हुए माता-पिता, धूमधाम से किया बेटी का नागदेवता के साथ विवाह
बेटी की जिद के आगे नतमस्तक हुए माता-पिता, धूमधाम से किया बेटी का नागदेवता के साथ विवाह



डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/परासिया। इसे अंधविश्वास कहे या आस्था! परासिया ब्लाक के आदिवासी अंचल की पंचायत धमनिया में मंगलवार को अनूठा विवाह समारोह हुआ। यहां दुल्हन एक 18 वर्षीय युवती थी तो वहीं दूल्हे की जगह लोहे से बने नागदेवता नजर आए। इस अनूठे विवाह समारोह में सैकड़ों लोग शामिल हुए तो वहीं सामूहिक भोज भी हुआ।
धमनिया पंचायत के सित्ताढाना निवासी इंदर के दो बेटे और दो बेटियां हैं। मंझली बेटी गीता आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुकी है। वह कुछ दिनों से सपने में ही नहीं घर और खेत में भी नागराज दिखाई देने की बात कह रही थी। यह सिलसिला नागपंचमी से जारी है, इसके बाद गीता अपनी शादी नाग से करवाने की बात कहने लगी। शादी नहीं होने पर वह मर जाने की धमकी देने लगी, तो माता-पिता उसकी जिद के आगे झुक गए। दुल्हन बनकर गीता घर के समीप स्थित नाग पूजन स्थल पर पहुंची। यहां स्थापित लोहे के नाग के साथ उसका विवाह करवाया गया। माता पिता ने बेटी की मंशा के अनुरूप विवाह की रस्में निभाई। इस दौरान कोरोना संक्रमण के खतरे और सोशल डिस्टेंसिंग को नजर अंदाज कर सामुहिक भोज भी हुआ।
लोगों को समझाइश देकर लौटाया
इस अनूठे विवाह समारोह में शामिल होने आसपास के गांवों से सैकड़ों लोग धमनिया पहुंचे तो पुलिस ने भीड़ को समझाइश देकर लौटाया। सरपंच किसना बाई मर्सकोले कहती हैं कि लड़की की शादी नाग से होने की सूचना पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए तो उन्हें गांव में आने से रोका गया। पंचायत सचिव उदलशाह कहते हैं कि उन्हें विवाह की जानकारी देरी से प्राप्त हुई। फिर भी लोगों को एकत्रित होने से रोका गया। न्यूटन चिखली पुलिस चौकी प्रभारी पारस नाथ आर्मो कहते हैं कि अंधविश्वास के चलते लोग एकत्रित हुए थे, जिन्हें समझाईश देकर वापस लौटा दिया गया।
इनका कहना है
ऐसे विवाह अंधश्रृद्धा या मनोविकार का नतीजा है। ऐसे मामलों में संबंधित के मनोविकार का उपचार किया जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र में सायकोसिस नामक बीमारी वंशानुगत होती है, जिसे लोग दैवीय प्रकोप या दैवीय प्रेरणा समझने लगते हैं।
हरीश देशमुख
अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति राष्ट्रीय महासचिव
पहला तो यह अंधश्रृद्धा का मामला है। इसके अलावा कुछ लोगों की इंद्रियों में असामान्य विकार होते हैं। जिससे संबंधित की सोच जबरदस्त तरीके से प्रभावित होती है। वे असामान्य तरीके से सोचने लगते हैं, ऐसे मामलों में उपचार किया जाना बहुत जरूरी है।
डॉ. तुषार ताल्हन, मनोविकार विशेषज्ञ, सिम्स छिंदवाड़ा

Created On :   15 Sept 2020 10:26 PM IST

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