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आदिवासी विभाग की जगह पंचायत विभाग ने कैसे कर दिया तबादला : हाईकोर्ट
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से तीन सप्ताह में इस आशय का शपथ-पत्र पेश करने के लिए कहा है कि डिंडोरी के अधिसूचित क्षेत्र में आदिवासी विभाग की जगह पंचायत विभाग ने कैसे तबादला आदेश जारी कर दिया है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने मुख्य सचिव को यह भी बताने के लिए कहा है कि विभागीय अतिक्रमण के इस मामले का निराकरण किस प्रकार किया जाएगा। इस दौरान याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
पंचायत विभाग द्वारा तबादला आदेश जारी नहीं किया जा सकता
डिंडोरी जिले के शहपुरा जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ ओंकार सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उनका मूल पद क्षेत्रीय संयोजक आदिवासी विभाग है। उनकी नियुक्ति प्रभारी सीईओ के पद पर की गई थी। पंचायत विभाग की ओर से आदेश जारी उनके स्थान पर किसी दूसरे अधिकारी का सीईओ के पद पर तबादला कर दिया गया है। याचिका में कहा गया कि अधिसूचित क्षेत्र केवल अधिकारियों और कर्मचारियों की पदस्स्थापना और तबादला करने का अधिकार केवल आदिवासी विभाग को है। पंचायत विभाग द्वारा तबादला आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली और मनोज कुशवाहा ने एकल पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता के संबंध में किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने मुख्य सचिव से तीन सप्ताह में इस आशय का शपथ-पत्र पेश करने के लिए कहा है कि अधिसूचित क्षेत्र में आदिवासी विभाग की जगह पंचायत विभाग ने कैसे तबादला आदेश जारी कर दिया।
राज्य सरकार ने कहा- महिला स्वाधार गृह को रिलिज कर दिया गया अनुदान
हाईकोर्ट में मंगलवार को राज्य सरकार की ओर शासकीय अधिवक्ता ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि महिला स्वाधार गृह को अनुदान रिलीज कर दिया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है। लार्डगंज जबलपुर निवासी अधिवक्ता स्वाती राठौर की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015-16 से महिला स्वाधार गृह को अनुदान नहीं दिया जा रहा है। पिछले चार साल से अनुदान नहीं मिलने से महिला स्वाधार गृह में रहने वाली बेसहारा महिलाओं की हालत काफी दयनीय हो गई है। बेसहारा महिलाओं के लिए भोजन का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को कई पत्र भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिवक्ता प्रहलाद चौधरी ने बताया कि महिला स्वाधार गृह के लिए हर साल लगभग 8 लाख रुपए अनुदान दिया जाता है। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार का आधा-आधा हिस्सा होता है। केन्द्र सरकार ने तो अपने हिस्से का अनुदान राज्य सरकार को दे दिया है, लेकिन राज्य सरकार उसमें अपना हिस्सा मिलाकर अनुदान नहीं दे रही है। राज्य सरकार की ओर शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि महिला स्वाधार गृह को अनुदान दे दिया है। राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर युगल पीठ ने जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है।
Created On :   28 Aug 2019 2:02 PM IST