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कोरोना काल के मामले वापस लेने के आदेश
डिजिटल डेस्क, अकोला. समूचे विश्व की अर्थ व्यवस्था को तहस नहस कर लाखों जिंदगियों को असमय मौत के मुंह में धकेलने वाली वैश्विक महामारी कोराेना के संक्रमण काल में लगाए गए लॉक डाउन के बीच प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पुलिस ने मामले दर्ज किए थे। गृह मंत्रालय के एक आदेश के अंतर्गत महाराष्ट्र के पुलिस महासंचालक के निर्देश पर मंगलवार 20 सितम्बर को एक आदेश जारी किया गया। जिसमें शर्तों के अधीन रहते हुए कोरोना काल में प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के आदेश दिए गए हैं। इस आदेश के बाद सभी जिला मुख्यालयों तथा पुलिस आयुक्तालय की ओर से आदेश जारी कर एक समिति गठित की गई है। यह समिति जिले में दर्ज ऐसे प्रतिबंधात्मक मामलों का अध्ययन करेगी।
शिकायतों का संकलन जारी
जी श्रीधर, जिला पुलिस अधीक्षक के मुताबिक शासन का आदेश बुधवार को प्राप्त हुआ जिसके निर्देश पर समिति का गठन किया गया है। तथा सभी पुलिस थानो तथा उपविभागीय पुलिस अधिकारी कार्यक्षेत्र में आने वाले मामले जो दर्ज हैं उनका ब्योरा मंगाया गया है। एक सप्ताह में यह ब्योरा मिलने पर आगे की प्रक्रिया आरम्भ की जाएगी।
यह है आदेश में {समूचे देश में मार्च 2020 से कोरोना संक्रमण नजर आने लगा। लिहाजा 21 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 तक अलग अलग चरणों में प्रतिबंधात्मक आदेश के साथ लॉक डाउन लगाना पड़ा। इस दौरान जिन नागरिकों ने किन्हीं कारणों से प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन किया उनके खिलाफ पुलिस ने मामले दर्ज किए। ऐसे मामलों के संदर्भ में जनप्रतिनिधियों ने मांग रखी थी कि मामलों को वापस लिया जाए। दूसरी अोर कोरोना को रोकने के लिए राजस्व, वन, सहायता पुनर्वास आपदा व्यवस्थापन विभाग की ओर से प्रतिबंध लगाए गए। तथा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज हुए। जिनकी जांच कर उन्हें वापस लेने के निर्देश कार्यासन अधिकारी देवेंद्र चव्हाण के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं। जिसमें कहा गया है कि धारा 188, 269, 270, 271, 37, 135 के तहत दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं। अलबत्ता सरकारी नौकर या फ्रंटलाइन वर्कर पर किसी तरह के हमले का मामला न हो। तथा निजी या सार्वजनिक संपत्ति का 50 हजार से अधिक का नुकसान न हुआ हो। कोरोना संक्रमण काल में दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र में पुलिस उपायुक्त जबकि अकोला में जिला स्तर पर उप विभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। जिसमें उपविभागीय राजस्व अधिकारी, सभी एसडीपीओ, डीवाईएसपी शामिल किए गए हैं। किसी मामले में एक से अधिक लोगों का सहभाग हो तथा सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ हो तो नुकसान की राशि सम प्रमाण में विभाजीत कर वसूल की जाए। मुआवजे की रकम अदा करने पर अपराध साबित हुआ या माना गया ऐसा न समझा जाए यह बताया गया है।
Created On :   22 Sept 2022 7:03 PM IST