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खुलेआम बिक रही री-पैक खाद - कम दाम की आड़ में हो रहा खेल
डिजिटल डेस्क दमोह । सावधान !कहीं आप 50- 100 रुपए प्रति बोरी सस्ती मिलने से डीएपी का री -पैक माल तो नहीं खरीद रहे हैं। सवाल इसलिए क्योंकि दमोह शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों में तय कीमत से कम में डीएपी की बिक्री की जा रही है ।बेशक दुकानदार कम कीमत के लिए निजी क्षेत्र में डीलरों को कंपनियों द्वारा दी जा रही छूट को बता रहे हो ।लेकिन सूत्र बताते हैं कि डीएपी की बिक्री कम कीमत में होने की एक वजह री-पैकिंग भी हो सकती है हालांकि ऐसी शिकायत ना आने की बात संबंधित विभाग कर रहा है ।परंतु डीएपी के साथ एसएसपी की मिलावट की चर्चा उर्वरक का व्यापार करने वाले हलकों में खूब सुनी जा रही है।
यह सस्ते का खेल
प्राप्त जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में हर एक कंपनी की डीएपी की बिक्री के लिए तय कीमत 12 सो रूपए प्रति 50 किलो बोरी है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में निजी दुकानदारों द्वारा इसकी बिक्री कहीं 1100 तो कहीं 1150 रुपए प्रति बोरी की दर से की जा रही है। इस समय किसानों को बोनी के लिए प्रमुख तौर पर डीएपी की जरूरत है और अधिकांश किसान सस्ते के चक्कर में निजी दुकानों की ओर रुख कर रहे हैं ।अधिकारी भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि दमोह में मार्कफेड सहित सहकारी समिति की दुकानों में डीएपी की उतनी मांग नहीं है ।जितनी की होनी चाहिए। उनका कहना है कि हम तो तय कीमत पर ही बिक्री करते हैं जबकि निजी विक्रेताओं को कंपनी की ओर से कमीशन व अन्य तरह के लाभ देने से उनका मार्जिन 100 रुपए बोरी तक बढ़ जाता है ।
कहीं री -पैक का खेल तो नहीं
दमोह जिले में पकड़े गए खाद्य व्यापारियों से ऐसा लगता है कि डीएपी सस्ते में बिक रही है तथा उसकी री-पैकिंग को भी हवा मिल रही है। इस तरह की कुछ चर्चाएं भी सुनने को मिल रही हैं जिनमें कहा जा रहा है कि निजी क्षेत्र की दुकानों में री-पैक डीएपी भी बिक रही है। जिसमें 25 फ़ीसदी डीएपी तथा शेष 75 फीसदी एसएसपी होती है। दोनों ही दानेदार होती हैं। डीएपी का रंग काला और एसएसपी का रंग हल्का काला होता है। यदि दोनों को मिक्स कर दिया जाए तो यह पहचानना संभव नहीं होता कि यह डीएपी है अथवा एसएसपी। इसमें डीएपी 12 सो रुपए तथा एसएसपी की कीमत 350 रुपये बोरी है ।
Created On :   19 Nov 2019 3:10 PM IST