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डेढ़ साल के मासूम को सांस लेने में हो रही थी दिक्कत, फेफड़े में कुछ फंसा देखकर परिजन के गले में अटकी जान
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डिजिटल डेस्क, बीड। डेढ़ साल का मासूम अपने पिता की गोद में अब राहत की सांस ले रहा है, लेकिन बीते 27 मार्च की बात करें तो उसे दोपहर के वक्त सांस लेने में बेहद तकलीफ हो रही थी। परेशान पिता ने उसे पहले बच्चों के डॉक्टर को दिखाया। जहां जांच करने पर पता चला कि सांस नली में रुकावट के कारण ऐसा हो रहा है, इसके तुरंत बाद डॉक्टर ने सलाह दी कि बिना वक्त गंवाए बच्चे को ENT (कान, नाक और गला) विशेषज्ञ के पास भेजा जाए। क्योंकि अब उसकी जान पर बन आई थी।
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कुछ ध्यान देने योग्य बातें
कई बार ऐसी स्थिति क्रिटिकल प्रॉब्लम बन जाती है। इससे एस्पीरेट निमोनिया और रेस्पिरेटरी सिस्टम फेलियर भी होने का अंदेशा रहता है। यही कारण है कि बच्चों को दूध पिलाते समय उनका सिर थोड़ा ऊंचा रखना चाहिए। ताकि सांस नली में खाद्य पदार्थ नहीं जा सके।
इसके अलावा बीमारी में जो लोग चल-फिर नहीं सकते। उन्हें बिस्तर पर ही खिलाया-पिलाया जाता है। ऐसे में खाना खिलाते समय ध्यान रखने की जरूरत होती है। सांस की नली और फेफडों में गई किसी चीज को सक्शन कर निकाला जाता है।
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डॉ ज्ञानेश्वर रुईकर ने परिवार की सहमति से ऑपरेशन करने का फैसला लिया। रात एक बजे बच्चे को ऑपरेशन थियेटर लाया गया। ऑपरेशन के दौरान देखा गया कि सांस नली में चना फंसा था। जिसके पहले तो दो भाग किए गए, फिर उसे बाहर निकाला गया। ऑपरेशन सक्सेस होने के बाद परिवार वालों की जान में जान आई। दरअसल खाने हुए एक चना बच्चे की सांस नली में चला गया था।
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आनन फानन में बच्चे को अस्पताल लाया गया, जहां उसकी जांच शुरु कर दी गई। स्कैनिंग के दौरान डॉक्टर को कुछ नजर आया। गोल आकार में सात मिलीमीटर की कुछ चीज छाती में फंसी होने के कारण सांस लेने में दक्कत हो रही थी।
Created On :   30 March 2021 7:17 PM IST