31 मार्च को बताया था कि शुरू हो गई है कोरोना की दूसरी लहर लेकिन नहीं जागी सरकार

On March 31, it was told that the second wave of Corona has started but the government has not awakened
31 मार्च को बताया था कि शुरू हो गई है कोरोना की दूसरी लहर लेकिन नहीं जागी सरकार
31 मार्च को बताया था कि शुरू हो गई है कोरोना की दूसरी लहर लेकिन नहीं जागी सरकार



डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने यह कहकर चौंका दिया कि उन्होंने 31 मार्च 2021 को आवेदन दायर कर बताया था कि कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई है, लेकिन राज्य सरकार की कोई तैयारी नहीं है। इसके बाद भी सरकार नहीं जागी, कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने भी सुनवाई के दौरान कहा कि आदेश के बाद भी प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है। 36 घंटे में आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट नहीं मिल रही है। इस मामले में डिवीजन बैंच द्वारा 29 अप्रैल को आदेश जारी किया जाएगा।
ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 56 करोड़ स्वीकृत-
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने बताया कि प्रदेश के 51 जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए 56 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। वर्तमान में प्रदेश में 61 ऑक्सीजन टैंकर हैं। सिंगापुर से जल्द ही 2 और ऑक्सीजन टैंकर मिलने वाले हैं। कोर्ट मित्र श्री नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार ऑक्सीजन के लिए पूरी तरह केन्द्र सरकार पर निर्भर है। राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह नहीं बताया है कि 51 जिलों में कब तक ऑक्सीजन प्लांट लगा दिए जाएँगे। सरकार अभी तक 8 में से 5 ऑक्सीजन प्लांट लगा पाई है, जो अपनी निर्धारित क्षमता से आधा ऑक्सीजन ही उत्पादन कर पा रहे हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
रेमडेसिविर की हो रही कालाबाजारी-
सुनवाई के दौरान डिवीजन बैंच ने कहा कि मीडिया िरपोर्ट बता रही है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है। राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि सरकारी अस्पतालों को रेडक्रॉस और प्राइवेट अस्पतालों को स्टॉकिस्ट के माध्यम से रेमडेसिविर के इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। जिसकी सतत निगरानी की जा रही है।
क्यों नहीं मिल रही 36 घंटे में आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट-
डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से पूछा कि आदेश के बाद भी कोरोना के आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट 36 घंटे में क्यों नहीं मिल रही है। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश के 8 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और 37 प्राइवेट लैबों में टेस्ट किए जा रहे हैं। अधिवक्ता शशांक शेखर ने कहा कि प्राइवेट लैब को टेस्टिंग से रोका जा रहा है। इस पर डिवीजन बैंच ने प्ूछा है कि कोरोना की टेस्टिंग बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
पहली लहर से भी कम हैं कोविड केयर सेंटर-
कोर्ट मित्र श्री नागरथ ने कहा कि कोरोना की पहली लहर से भी कम कोविड केयर सेंटर दूसरी लहर में खोले गए हैं। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि दूसरी लहर में डेडिकेटेड कोविड सेंटर ज्यादा खोले गए हैं, यहाँ पर प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था है। कोर्ट मित्र ने कहा कि मरीजों को आइसोलेशन में रखने के लिए कोविड केयर सेंटर भी जरूरी हैं।
सरकार ने कहा- कोर्ट मित्र का तर्क आहत करने वाला-
कोर्ट मित्र श्री नागरथ ने तर्क दिया कि मात्र जबलपुर शहर में शराब के एक दिन के राजस्व से दो ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा सकते हैं। राज्य सरकार ने इस तर्क को आहत करने वाला बताया। श्री नागरथ ने कहा कि राज्य सरकार को उसकी नाकामियों और कर्तव्यों के बारे में बताना कोर्ट मित्र का दायित्व है। इसके बारे में सरकार की क्या सोच है, इससे फर्क नहीं पड़ता है।

 

Created On :   28 April 2021 10:53 PM IST

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