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रिकॉर्ड से अचानक गायब हो गई श्मशानभूमि
डिजिटल डेस्क, वर्धा. समीपस्थ आलोडी गांव में श्मशानभूमि के लिए आरक्षित की गई 0.77 हेक्टेयर जमीन के निस्तार पत्र के रिकॉर्ड में श्मशानभूमि की जगह को गायब कर दिया गया। इस जमीन का कुल निस्तार रद्द करने में प्रशासन अधिक रुचि दिखा रहा है। यह आरोप लगाते हुए इस मामले की गहन जांच कर आलोडीवासियों को न्याय देने की मांग आलोडी की नागरी समस्या निवारण समिति ने जिलाधिकारी से की है। समीपस्थ आलोडी गांव में 1955 में मध्यप्रदेश शासन काल के दरम्यान खेत सर्वे क्रमांक 28, आराजी 0.77 हेक्टेयर आर जमीन श्मशानभूमि के लिए दी गई थी। उस समय से वहां अंतिम संस्कार किया जाता था। 10 अक्टूबर 1995 को वर्धा के तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी ने 0.77 हेक्टेयर आर में से 0.34 हे. आर. जमीन झोपड़पट्टी के लिए दे दी। लेकिन रिकॉर्ड में सुधार नहीं किए जाने के कारण श्मशानभूमि की जमीन 0.77 हेक्टर आर ही दिखाई जा रही है। आलोडी गांव साटोडा गुट ग्राम पंचायत के तहत आता है। इस कारण गांव के नागरिकों ने गांव में श्मशानभूमि बनाने के लिए आवेदन दिया था। दरम्यान 28 अगस्त 2012 को आरक्षित जमीन पर श्मशानभूमि का शेड बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। श्मशानभूमि की आरक्षित जमीन पर अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए ग्राम पंचायत सदस्य अजय जानवे ने मकान बनाने की मंजूरी दी थी। 25 अक्टूबर की विशेष ग्रामसभा में इसे मंजूरी दी गई। इस कारण मामला तहसील कार्यालय में पहुंच गया। इस प्रकरण में 13 मार्च 2018 को सुनवाई हुई। सभी कागजातों का अवलोकन करने के बाद यह जमीन श्मशानभूमि के लिए आरक्षित होने के कारण वहां श्मशानभूमि बनाने के आदेश दिए गए। लेकिन ग्राम पंचायत के आदेश को मानने से इनकार किए जाने के कारण नागरी समस्या निवारण समिति ने इस मामले से संबंधित पत्र उपलोक आयुक्त कार्यालय मुंबई के समक्ष भेजा। आयुक्त कार्यालय से आदेश आने पर 22 अगस्त 2019 को तत्कालीन तहसीलदार प्रीति डुडुलकर के कार्यालय में सुनवाई हुई। उन्होंने अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाया गया। विधानसभा चुनाव होने का कारण बताते हुए इसमें पांच से छह माह का समय लगने की बात कही गई थी। उसके बाद 7 अगस्त 2020 को तहसीलदार डुडुलकर ने जो आदेश निकाला उसकी एक प्रति नागरी समस्या निवारण समिति को नहीं दी गई। यह प्रति सीधे पटवारी और तहसीलदार को भेज दिया। उसके बाद लोकायुक्त के आदेशानुसार तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने श्मशानभूमि की जमीन का नि:शुल्क माप कर सीमा निर्धारित करने के आदेश तहसीलदार व भूमि अभिलेख कार्यालय के उपअधीक्षक को दिए थे। लेकिन उपविभागीय अधिकारी सुरेश बगले इस संपूर्ण जमीन का निस्तार अधिकार रद्द करने के प्रयास में दिख रहे हैं। इस प्रकरण में उपविभागीय अधिकारी सुरेश बगले, तहसीलदार प्रीति डुडुलकर की जांच कर आलोडीवासियों को न्याय देने की मांग आलोडी नागरी समस्या निवारण समिति के अरुण गावंडे ने जिलाधिकारी से की है।
पास की खेती का बढ़ा विस्तार
श्मशानभूमि के पास की खेती वसंत देशमुख ने रमाबाई परशुरामे के पास से खरीदी है। उस समय उनकी खेती 1.74 हेक्टर आर थी। जो अब 250 हेक्टेयर आर हो गई है। उनकी जमीन का विस्तार किस प्रकार हुआ। यह सवाल खड़ा किया जा रहा है। खेत खरीदनेवाले वसंत देशमुख पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने भूमि अभिलेख कार्यालय में सर्वेयर के रूप में कार्यरत रहते यह कालाबाजारी की है।
चार घंटे बाद हुआ था अंतिम संस्कार
16 फरवरी 2018 को गांव की महिला का निधन हुआ था। उस समय ग्राम पंचायत के सदस्य शव को श्मशानभूमि में लेकर जाने व अंतिम संस्कार करने से मनाही कर रहे थे। इसकी सेवाग्राम थाने में शिकायत करने पर पुलिस की टीम मौके पर पहंुची। पुलिस का परिसर में कड़ा बंदोबस्त लगाया गया। पुलिस अधिकारियों ने तहसीलदार से बातचीत की। तहसीलदार ने सातबारा प्रमाणपत्र पर यह जमीन अंतिम संस्कार के लिए आरक्षित लिखी थी। इसी जगह अंतिम संस्कार की अनुमति दी थी। इस कारण चार घंटे बाद महिला का अंतिम संस्कार किया गया।
Created On :   27 Dec 2022 7:45 PM IST