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ओडीएफ घोषित हो चुके जिले में 14 हजार से अधिक शौचालय मिले अनुपयोगी
डिजिटल डेस्क सीधी। ओडीएफ घोषित हो चुके जिले में 14 हजार से अधिक शौचालय अनुपयोगी पाये गये हैं। ग्राम पंचायतों में तैनात स्वच्छाग्राहियों के सर्वे के बाद यह आंकड़ा सामने आया है। शासन के निर्देश पर अब अनुपयोगी शौचालयों को उपयोग लायक बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही 12500 नये शौचालय भी बनाये जायेंगे।
स्वच्छ भारत मिशन की लंबे अर्से बाद फिर से सुगबुगाहट मिलने लगी है। इसके पहले जिले को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। मिशन के केन्द्रीय कर्मचारियों के दौरे के बाद जब शौचालयों के उपयोग न होने और कई जगह जरूरी होने के बाद भी शौचालय निर्माण कार्य छूट जाने की बात कही गई तो आनन-फानन में सर्वे कराया गया है। स्वच्छाग्राहियों द्वारा किये गये सर्वे के बाद 14 हजार से अधिक शौचालयों को अनुपयोगी बता दिया गया है। इतनी बड़ी संख्या में शौचालयों के अनुपयोगी होने की जानकारी सामने आने पर पूर्व के सर्वे को विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है। इसीलिये पीसीओ एवं उपयंत्रियों को फिर से सर्वे के काम में लगाया गया है। सर्वे के साथ ही अनुपयोगी पाये जाने वाले शौचालयों को फिर से उपयोग लायक बनाया जायेगा। बता दें कि कागजी आंकड़ों में लक्ष्यपूर्ति की हड़बड़ी में गुणवत्ताविहीन बनाये गये शौचालय ही अनुपयोगी पाये जा रहे हैें। कहीं बैठने की व्यवस्था नहीं है तो कहीं टैंक बनाने का काम दिखावे के लिये किया गया है। नाम मात्र के बने शौचालयों के रूपये तो निकल चुके हैं किंतु उपयोग नहीं हो रहे हैं। ऐसे में अनुपयोगी शौचालयों केा उपयोग लायक तो बना दिया जायेगा किंतु जिन्होंने अनुपयोगी शौचालय बनाये उन पर क्या कार्रवाई होगी यह अभी तय नही हेा पाया है। वर्तमान में 15 जनवरी और फिर 30 जनवरी शौचालय सुधार और नये निर्माण पूरा करने की तिथि निश्चित की गई है। इस हेतु जनपदवार बैठकें आयोजित कर लक्ष्य दिये जा रहे हैं और साथ ही कार्रवाई का भय भी दिखाया जा रहा है।
8 वर्ष पहले हुये सर्वे के आधार पर घोषित किया ओडीएफ
जिले में सबसे पहले कुसमी जनपद पंचायत को ओडीएफ घोषित किया गया और उसके बाद दूसरी जनपदों को ओडीएफ किया गया है। सीधी, सिहावल, रामपुर नैकिन जैसी जनपदों को कब ओडीएफ घोषित किया गया इसकी कम ही जानकारी हो पाई है। इसी दौरान जिले केा भी ओडीएफ घोषित किया गया। संभवत: ऊपर से आये दवाब के चलते ही आनन फानन में जनपद और जिले को ओडीएफ घोषित करने का कदम उठाया गया है। बताया जाता है कि वर्ष 2012 में हुये बेसलाइन सर्वे के हिसाब से जिले को ओडीएफ घोषित किया गया है। हालांकि बाद में करीब 12500 शौचालयों के निर्माण न होने की जब बात सामने आई तो फिर से हितग्राहियों के नाम की सूची संधारित की गई और अब शौचालय निर्माण की कवायद शुरू की जा रही है।
अब जानकार करेंगे सर्वे
स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले भर में बनाये गये शौचालयों में से 14 हजार शौचालयों को स्वच्छाग्राहियों द्वारा अनुपयोगी साबित क्या किया कि प्रशासन के कान खड़े हो गये हैं। दरअसल में स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत के समय ही जिले भर में करीब 550 स्वच्छाग्राही इसलिये नियुक्त किये गये थे कि वे स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ मिशन की देखरेख के लिये मैदानी अमले का प्रमुख अंग होंगे। गांव के ही जागरूक व्यक्तियों में से बनाये गये स्वच्छागा्रही अब जबकि अपने सर्वे में अनुपयोगी शौचालयों की सूची सौंप दिये हैं तब उन्हें अमान्य किया जा रहा है। आंकड़ों को कम करने के लिहाज से ही ग्राम पंचायतों में तैनात पीसीओ और उपयंत्रियों को सर्वे के लिये लगाया जा रहा है। इन्हें ज्यादा जानकार होने पर दूसरे सर्वे का जिम्मा दिया गया है।
इनका कहना है-
वर्ष 2014 के पहले और बाद में बनाये गये शौचालयों में से 14 हजार शौचालय अनुपयोगी पाये गये हैं। इसमें से 2014 के बाद बने शौचालयों को ग्राम पंचायतें सुधार करायेंगी तो पहले के शौचालयों को उपयोगी बनाने के लिये पैसा दिया जा रहा है।
सुचिता ङ्क्षसह
समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन सीधी।
Created On :   7 Jan 2020 2:48 PM IST