चार गुना घट गई जिले में सैम बच्चे की संख्या

Number of Sam children in the district decreased by four times
चार गुना घट गई जिले में सैम बच्चे की संख्या
सिवनी चार गुना घट गई जिले में सैम बच्चे की संख्या


डिजिटल डेस्क, सिवनी । जिले में गैर चिकित्सीय लक्षण वाले 0 से 5 वर्ष तक की आयु के गंभीर कुपोषित(सैम) व मध्यम गंभीर कुपोषित(मैम) बच्चों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज हुई है। पिछले साल अगस्त 21 में जहां सैम बच्चों की संख्या 222 थी, वहीं अब यह घटकर केवल 54 रह गई है। इसी तरह मैम बच्चों की संख्या भी 2972 से घटकर अब 966 ही रह गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कलेक्टर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के निर्देश पर जिले के समस्त 72 सेक्टरों में लगाए गए बाल आरोग्य संवद्र्धन शिविरों को इसका कारण बताया जा रहा है।  

माहवार ये रही संख्या
   माह          सैम बच्चे   मैम बच्चे
अगस्त 21        222       2972
सितंबर 21       223       2518
अक्टूबर 21      235       2143
नवंबर 21        172       2150
वर्तमान में        54          966
कोविड-लॉकडाउन से बढ़ी संख्या
जिले में कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन के कारण समस्त कुपोषित बच्चों तक दस्तक देना संभव नहीं हो पाया था। घातक दूसरी लहर के दौरान और भी स्थिति विकट हो गई थी। दूसरी लहर का प्रकोप कम होने व लाकडाउन हटने के बाद कलेक्टर ने जिले में चिन्हांकित सैम व मैम बच्चों को सामान्य वर्ग में लाने के निर्देश महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अभिजीत पचौरी को दिए गए। उन्होंने सभी सेक्टरों में बाल आरोग्य संवद्र्धन शिविर आयोजित करने को कहा। इसके बाद अगस्त 21 में शिविर लगाने का क्रम प्रारंभ हुआ।  

लगातार 4 माह लगाए शिविर
जिला कार्यक्रम अधिकारी अभिजीत पचौरी ने बताया कि जिले के समस्त 72 सेक्टरों में अगस्त 21 से बाल आरोग्य संवद्र्धन शिविर लगाने की शुरूआत की गई। लगातार चार माह ये शिविर लगाए गए। शिविर के दौरान बच्चों के वजन एवं उंचाई दर्ज की जाकर उन्हें स्वच्छता किट, न्यूट्री किट, दुग्ध पाउडर एवं टेक होम राशन आदि का वितरण कराया गया।    स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक एवं एएनएम को शिविर के दौरान बच्चों की स्वास्थ्य जांच करने व दवाईयों के सेवन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के समस्त सेक्टर पर्यवेक्षकों को प्रत्येक बच्चों के वजन एवं ऊंचाई मापने व रिकॉर्ड करने का कार्य सौंपा गया। साथ ही समस्त पर्यवेक्षकों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों के परिवारों को पोषण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा प्रदान करते हुए परामर्श की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। इसका परिणाम  यह हुआ कि जिले में अब सैम व मैम बच्चों की संख्या में काफी कमी आ गई है। शेष बच्चों को भी रणनीति अनुसार पूर्णत: स्वस्थ करने के प्रयास गंभीरता से किए जा रहे हैं।

Created On :   2 April 2022 2:05 PM IST

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