- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- बीड
- /
- महाराष्ट्र के बीड में बढ़ रही है...
महाराष्ट्र के बीड में बढ़ रही है कुपोषित बच्चों की संख्या, ठोस कदम उठाने की जरूरत

डिजिटल डेस्क, बीड। बच्चों में कुपोषण बड़ी समस्या है। जिले में दिसंबर तक 590 कुपोषित और 92 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे पाए गए। बढ़ते कुपोषण पर अंकुश लगाने के लिए जिला कलेक्टर राहुल रेखावार से विशेष प्रयासों की उम्मीद है। हालांकि, बच्चों में कुपोषण को कम करने के मामले में प्रशासन की स्थिति निराशाजनक है। मानवाधिकार कार्यकर्ता और बाल अधिकार समिति की सदस्य मनीषा टोकले के मुताबिक कुपोषण का कारण जो भी हो, लेकिन यदि एक भी कुपोषित बच्चा पाया जाता है तो यह जिले के अपमान समान है।
यह गन्ना श्रमिकों का एक जिला है। गन्ना कटाई के लिए आठ लाख से अधिक श्रमिक दूसरे जिलों और अन्य राज्यों से आते हैं। यहां बाल विवाह के सामले में सामने आते हैं। गृह विभाग ने 2019 में 24 बाल विवाह दर्ज किए हैं। हालांकि यहां कई गांव ऐसे हैं, जहां प्रशासन बाल विवाह रोकने नहीं पहुंच पाया। मनीषा टोकले के मुताबिक ऐसे मामलों से भी कुपोषित बच्चों के जन्म पर प्रभाव पड़ता है। सरकारी योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती हैं।
बाल अधिकार समिति के कांबले ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों को खोजने के लिए एक बार फिर से अभियान शुरू करना आवश्यक है। जब हम जमीनी स्तर पर काम कर रहे होते हैं, तब कई स्थानों पर कुपोषित बच्चे मिलते हैं। उन्हें जिला अस्पताल लाने और सरकारी योजना का लाभ दिलाने के लिए कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है। अगर सरकार इस संबंध में व्यापक अभियान शुरू करे, तो निश्चित रूप से कुपोषण समाप्त होगा।
कुपोषित बच्चों की संख्या
अगस्त 2020 से नवंबर 2020 तक (चार महीने)
बीड तालिका -9
गेवराई तालिका -25
केज -17
आष्टी -8
माजलगांव -2
पाटोदा -2
शिरूर कासार -8
वडवनी -6
परली -7
धारुर -4
अंबाजोगाई -4
मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 590
जिले की 11 तालिकाओं में कुल 590 बच्चे हैं, जिसमें अकाडा तालुका में मामूली रूप से कुपोषित हैं। यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बढ़ते कुपोषण को रोकने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। नहीं तो जिला कुपोषण के मामलों में सबसे आगे होगा।
Created On :   24 Dec 2020 3:39 PM IST