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अब जनता सीधे चुनेगी सरपंच, 116 ग्राम पंचायतों की कमान महिलाओं के हाथ
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डिजिटल डेस्क,नागपुर। जिले में 238 ग्राम पंचायतों का चुनाव नवंबर में होना है। ग्राम पंचायत आरक्षण के मुताबिक 238 में से 116 ग्राम पंचायतों के सरपंच पद की कमान महिलाएं संभालेंगी। साथ ही राज्य सरकार के ग्राम विकास मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि अब सरपंच का चुनाव सीधे जनता के वोटों से होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किए जाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीति होना शुरू हो गई है। ग्राम पंचायत आरक्षण के मुताबिक 238 में से 116 ग्राम पंचायतों के सरंपच पद की कमान महिलाओं के हाथों में होगी। निर्वाचन आयोग के निर्देशों पर जिन ग्राम पंचायत में चुनाव कराए जाने है वहां की प्रभाग रचना और आरक्षण घोषित किया गया है। जिले की 238 ग्राम पंचायतों में 793 प्रभागों से 2 हजार 68 सदस्यों को चुना जाएगा। इस बार सरपंच सीधे जनता के वोटों से चुना जाएगा। इससे पहले 1996-97 में जनता के वोटों से सरपंच निर्वाचित करने का फैसला लिया गया था।
सरपंच बनने की होड़
सरपंच चुनने का अधिकार सीधे जनता के हाथों में दिया गया है। इसे निर्णय से सरपंच बनने के लिए लोगों में होड़ मच गई है। जनता के साथ संपर्क कर उन्हें अपने पक्ष में करने की कवायद शुरू हो गई है। सत्ता का उपयोग जनता को अपने पक्ष में करने के लिए किया जा रहा है। वहीं विपक्ष सत्ता पक्ष की खामियां गिनवा कर विरोध में माहौल बनाने की कोशिश में जुट गया है।
निर्णय से बढ़ेगी उलझन
ग्राम पंचायत सदस्यों की संख्या विषम होनी चाहिए। मुंबई ग्राम पंचायत अधिनियम 1964 में यह प्रावधान किया गया है। सभा में रखे जाने वाले प्रस्तााव पर मतदान की बारी आने पर समर्थन और विरोध में सदस्य संख्या समान आने पर सरपंच का वोट निर्णायक माना जाता है। ऐसी स्थिति में सरपंच जिस पक्ष का समर्थन करता है, उस पक्ष में प्रस्ताव पारित होता है। प्रभाग रचना में सदस्यों की संख्या विषम ही रखी गई है। सभा में रखे गए प्रस्ताव पर दोनों पक्षों की संख्या समान होने पर निर्णय प्रक्रिया में उलझन की स्थिति पैदा होगी। हालांकि सरपंच को निर्णय प्रक्रिया में मतदान का अधिकार होगा, या नहीं। इसे लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है।
Created On :   14 Aug 2017 10:19 AM IST