800 करोड़ के कर्ज की लिस्ट देने के बाद भी कटौती नहीं

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
समूहों और सहकारी समितियों को धान खरीदी में काटना है कर्ज 800 करोड़ के कर्ज की लिस्ट देने के बाद भी कटौती नहीं

डिजिटल डेस्क,सिवनी। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की पॉलिसी के नियमों को सहकारी समितियों और स्व-सहायता समूहों ने हवा में उड़ा दिया। धान बेचने के बाद होने वाले भुगतान में कई किसानों के ऊपर कर्ज की राशि को नहीं काटा जा रहा। ऐसे में कर्ज की राशि कम नहीं हो पा रही। आने वाले समय में सहकारी समितियों को मिलने वाले ऋण और खाद की लिमिट घट सकती है, जबकि खरीदी के समय ही पोर्टल पर 21 हजार से अधिक किसानों पर 800 करोड़ के कर्ज की सूची डाल दी गई थी। इस मामले में कलेक्टर ने भी सभी को नोटिस जारी कर कार्रवाई के लिए कहा है।

समूहों की अधिक शिकायतें

जिले में कुल 109 धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से 30 स्व-सहायता समूहों को धान खरीदी केंद्र आवंटित किए गए। इसी प्रकार सहकारी समितियों को 08 और प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियोंं को 71 केंद्र दिए गए हैं। सोसायटियों और समूहों द्वारा मनमानी करते हुए भुगतान के समय जारी विक्रय पर्ची में भुगतान के कॉलम में कर्ज की राशि नहीं काटी जा रही, जबकि भुगतान के समय संबंधित किसान के नाम से जानकारी प्रदर्शित होती है कि उस पर कितना कर्ज बकाया है।

मेहता केंद्र को दिया नोटिस

घंसौर क्षेत्र के खरीदी केंद्र मेहता में शोभा स्व-सहायता समूह मझगंवा को खरीदी का जिम्मा दिया गया है। समूह ने करीब दस किसानों से कर्ज की राशि नहीं काटी, जबकि पोर्टल पर सभी की जानकारी थी। इसमें करीब दो  लाख जमा नहीं कराया गया। इस मामले को लेकर नोटिस जारी किया गया। साथ ही तीन दिन के भीतर कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

ऑपरेटरों ने की मनमानी

आदिम जाति सेवा सहकारी समिति घंसौर के तिरूपति वेयर हाऊस में धान खरीदी में कार्यरत ऑपरेटर की गड़बड़ी सामने आई है। यहां पर ऋणि किसानों से साठगांठ कर नाम मात्र की राशि की कटौती की गई है। इस स्थिति से ऋण वसूली की कार्रवाई प्रभावित हुई है। सहकारी बैंक ने भी सहकारिता आयुक्त से कार्रवाई के लिए पत्र भी जारी किया है। इसके अलावा बरघाट के बोरी के स्व-सहायता समूह, बरघाट की कृषि उपज मंडी, गोपालगंज सोसायटी, धूमा समिति में मनमानी सामने आई है। यहां पर भी कर्ज का पैसा नहीं काटा गया है।

समितियों ने बख्शा 36 करोड़

जिले की सहकारी समितियों को 46 करोड़ के कर्ज की जानकारी पोर्टल पर दी गई थी। लेकिन समितियों ने धान खरीदी में महज दस करोड़ की राशि काटी। इसमें 36 करोड़ की राशि को बख्श दिया गया। आने वाले समय पर इन समितियों पर कर्ज का बोझ तो बना ही रहेगा और कई काम में दिक्कतें हो सकती हैं।

इनका कहना है

शासन के नियमानुसार धान बेचने के बाद भुगतान के समय कर्ज की राशि काटना है। लेकिन कई जगह ऐसा नहीं किया जा रहा है। इससे कर्ज वसूली में दिक्कतें होंगी। इस संबंध में सभी को पत्र लिखा गया है।
-तुलसी बघेल, प्रभारी जीएम, जिला सहकारी बैंक
 

Created On :   14 Jan 2023 1:24 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story