औसतन एक जिला अस्पताल में 27 मरीजों को देखता है एक डॉक्टर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के 707 जिला अस्पतालों में से एक भी अस्पताल तय मानकों पर खरा नहीं उतरा है। नीति आयोग द्वारा पहली बार जिला अस्पतालों के प्रदर्शन पर किए गए अध्ययन में यह सामने आया है। देश के 707 जिला अस्पतालों को 10 प्रमुख मानकों पर परखा गया। अध्ययन के कुल मानकों में से एक में सामने आया है कि 707 में 182 अस्पतालों में 90 फीसदी से ज्यादा बेड भरे थे। इनमें महाराष्ट्र में यह प्रतिशत 8.2 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 10.9 और उत्तरप्रदेश सबसे ज्यादा 14.8 प्रतिशत या उससे ज्यादा है। वहीं औसतन एक जिला अस्पताल में एक डॉक्टर 27 मरीजों को देखता है। रिपोर्ट ऑन प्रैक्टिसिस इन द परफॉर्मेस ऑफ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के अध्ययन की यह रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई। अध्ययन के लिए जिला अस्पतालों को तीन श्रेणियों में बांटा गया था। छोटे अस्पताल 200 या इससे कम बेड वाले, मध्यम 201 से 300 बेड वाले और बड़े अस्पताल 300 से ज्यादा बेड वाले शामिल है। इन कुल अस्पतालों में 62 प्रतिशत छोटे अस्पताल थे। अध्ययन के मुताबिक औसतन एक जिला अस्पताल में हर एक लाख आबादी पर 24 बेड है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति 1000 लोगों पर 5 बेड होने चाहिए। नीति आयोग ने अध्ययन के लिए एक एक अस्पताल में प्रति एक लाख आबादी पर 22 बेड तय किए थे। रिपोर्ट कहती है कि अस्पताल में बेड का सबसे ज्यादा औसत पुड्डुचेरी में है, जबकि बिहार में यह औसत सबसे कम है। 707 में से 88 अस्पतालों में से सिर्फ 27 फीसदी में डॉक्टरों और बेड का अनुपात 29 पर 100 है। जरुरत के हिसाब स यहां प्रति लाख आबादी पर केवल 6 बिस्तर है।
नर्स की उपलब्धता कुल अस्पतालों में 88 में जरुरत के हिसाब से देखी गई। ऐसे अस्पताल सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में 14.8 प्रतिशत, दिल्ली में 12.5 और इसके बाद उत्तरप्रदेश में 11.4 प्रतिशत में मिले। सिर्फ 89 अस्पताल सभी सपोर्ट सर्विस होने के मापदंड पर खरे उतरे। इन अस्पतालों में सबसे ज्यादा तमिलनाडु में 20.2 प्रतिशत, राजस्थान 11.2, उत्तरप्रदेश 10.1, क र्नाटक 10.1 और पश्चिम बंगाल में 9 प्रतिशत मिले। वहीं 21 अस्पतालों ने सभी डायग्नोस्टिक सर्विस उपलब्ध होने के मानदंड को पूरा किया है।
Created On :   1 Oct 2021 8:22 PM IST