- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- अकोला
- /
- न समिति का गठन हुआ, न प्रस्ताव शासन...
न समिति का गठन हुआ, न प्रस्ताव शासन की ओर भेजा, सर्वसाधारण सभा में हुई थी प्रस्ताव पर चर्चा
डिजिटल डेस्क, अकोला। महानगरपालिका का संशोधित आकृतिबंध तैयार करने पर तत्कालीन आयुक्तों का जोर रहा, लेकिन रूकावटों की वजह से आकृतिबंध उलझकर रह गया था। तत्कालीन आयुक्त नीमा अरोरा के कार्यकाल में आकृतिबंध अंतिम पड़ाव तक लाया गया। पश्चात 30 सितंबर 2021 की सर्वसाधारण सभा में प्रस्ताव मंजूरी के लिए रखा गया। इस प्रस्ताव को सत्तादल व विपक्ष ने सीधे मंजूरी न देते हुए समिति का गठन करने का निर्णय लिया। किंतु समिति का गठन नहीं हो पाया, न ही आकृतिबंध का प्रस्ताव शासन की ओर भेजा गया। अब मनपा में प्रशासक राज है, जिससे निर्णय आयुक्त पर निर्भर है।
अकोला महानगरपालिका में सालों से पदभर्ती नहीं हो पाई है, साथ ही आकृतिबंध की ओर भी अनदेखी बनी रही। इस कारण कई पद आवश्यकता न होने पर भी बने हुए थे। कई विभागों का अस्तित्व सिर्फ नाम के लिए था, जिससे विभाग प्रमुख पदों का बोझ मनपा को अलग से उठाना पड़ रहा था। इस पर गौर करते हुए जिलाधिकारी तथा तत्कालीन प्रभारी आयुक्त नीमा अरोरा ने संशोधित आकृतिबंध को प्राथमिकता देना शुरू किया। मनपा के मंजूर 2400 पदों में से लगभग 40 प्रतिशत याने 1016 पद खत्म करने का निर्णय लिया गया। नए आकृतिबंध में सिर्फ 1384 पद ही रखे गए। सालों से बेजह अस्तित्व में बने रहे पदों को अब रद्द करने का नियोजन किया गया।
महानगरपालिका में बरसों पूर्व कुलियों के पद विविध कामों के लिए निर्माण किए गए थे, लेकिन वर्तमान में कुलियों के लिए महानगरपालिका में कोई काम नहीं है। ऐसे में कार्यरत कुली मनपा के अलग-अलग विभागों में चपरासी समेत अलग-अलग पदों पर काम कर रहे है। इस कारण संशोधित आकृतिबंध में सभी 442 कुलियों के पद रद्द किए गए। इसी प्रकार चपरासी के मंजूर 200 पदों में से 151 पद रद्द किए गए। सिर्फ 49 सिपाही मनपा में कार्यरत रखे जा सकेंगे। नाका मोहरीर, सहायक नाका मोहरीर आदि पदों को पूर्णत: रद्द किया गया। कई विभागों में पदों को कम किया गया। इस प्रकार आकृतिबंध को तैयार कर मनपा की सर्वसाधारण सभा में रखा गया। 30 सितंबर को आयुक्त कविता द्विवेदी की उपस्थिति में हुई सर्वसाधारण सभा में प्रस्ताव को प्रलंबित रखा गया। 11 सदस्यीय समिति के गठन के बाद अंतिम निर्णय लेने की बात कही गई, लेकिन तब से लेकर 8 मार्च तक पांच माह बाद भी समिति का गठन नहीं हुआ और आकृतिबंध का विषय लटककर रह गया।
आस्थापना खर्च में आएगी कमी {अकोला मनपा का खर्च 50 प्रतिशत से अधिक रहा है। जो कई बार बढ़कर 65 प्रतिशत के ऊपर पहुंचा। आस्थापना खर्च का बोझ देखते हुए मनपा का संशोधित आकृतिबंध तैयार करना आवश्यक था। जनसंख्या के आधार पर अन्य ड श्रेणी मनपाओं ने भी आकृतिबंध में कई पद रद्द किए है। अकोला मनपा प्रशासन ने पनवेल, मीरा-भाईंदर, धुले, चंद्रपुर आदि महानगरपालिका के शासन ने मंजूर किए आकृतिबंध की तुलना कर अकोला मनपा का नया आकृतिबंध तैयार किया। इससे मनपा का आस्थापना खर्च काफी हद तक नियंत्रित होगा। ऐसा होने पर भी आकृतिबंध का प्रस्ताव अब तक शासन की ओर भेजा नहीं जा सका है।
Created On :   29 March 2022 5:25 PM IST