अध्याय हटाने का सवाल नहीं, डॉ. हेडगेवार पर पूरा अध्याय पढ़ाता रहा है नागपुर विश्वविद्यालय

Nagpur university teaching full chapter of dr hedgewar ba courses
अध्याय हटाने का सवाल नहीं, डॉ. हेडगेवार पर पूरा अध्याय पढ़ाता रहा है नागपुर विश्वविद्यालय
अध्याय हटाने का सवाल नहीं, डॉ. हेडगेवार पर पूरा अध्याय पढ़ाता रहा है नागपुर विश्वविद्यालय

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बीए के पाठ्यक्रम में आरएसएस पर केंद्रित अध्याय जोड़ने के अपने फैसले पर नागपुर विश्वविद्यालय कायम है। यूनिवर्सिटी  कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे ने साफ किया है कि ऐसा करके यूनिवर्सिटी  ने कोई गलत फैसला नहीं लिया, ऐसे में अध्याय को हटाने का सवाल ही नहीं बनता। विश्वविद्यालय प्रशासन का तो यहां तक दावा है कि आरएसएस पर केंद्रित अध्याय को वे वर्ष 2003 से एमए के पाठ्यक्रम में तो पढ़ा ही रहे हैं, बल्कि इसके पूर्व तो पाठ्यक्रम में डॉ.केशव हेडगेवार पर पूरा यूनिट पढ़ाया जाता था। विश्वविद्यालय वर्ष 2003 के पहले एमए के पाठ्यक्रम में डॉ.हेडगेवार, राष्ट्र सेवा दल- एन.एस.हार्डिकर और धम्म चक्र - डॉ.बाबासाहब आंबेडकर' नामक अध्याय पढ़ाया करता था। कुलगुरु ने बताया कि उन्हें पुख्ता तौर पर याद नहीं कि यह अध्याय यूनिवर्सिटी  में कब शामिल किया गया, लेकिन निश्चित तौर पर इसे वर्ष 2003 तक पढ़ाया जाता रहा। इसके बाद इसे बदल कर "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' और 'धम्म चक्र'  नाम से पाठ शामिल किए गए। अब वर्ष 2019 में "आरएसएस की राष्ट्रनिर्माण में भूमिका' अध्याय बीए में शामिल गया है। इसे पहले ही देश के अन्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में कुलगुरु डाॅ.काणे ने इस विरोध को पूरी तरह गलत बताया है। 

कांग्रेस कर रही विरोध

पाठ्यक्रम में आरएसएस का अध्याय शामिल करने के नागपुर यूनिवर्सिटी के फैसले के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस ने विरोध किया है। प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढ़े के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने यूनिवर्सिटी के प्रशासकीय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और यूनिवर्सिटी कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे को ज्ञापन सौंपा। लोंढे के अनुसार यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों को आरएसएस का असली इतिहास पढ़ाएं। इसमें बताएं कि आरएसएस ने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध करके अंग्रेजों का साथ दिया था। वर्ष 1919 के खिलाफत आंदोलन में कांग्रेस कार्यकर्ता रहते डॉ.हेडगेवार जेल गए थे, उनका स्वतंत्रता आंदोलन में कोई सहभाग नहीं था। संघ के मुखपत्र से गोलवलकर गुरुजी ने भारतीय संविधान और झंडे का अपमान किया था। गांधी हत्या से लेेकर सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा आरएसएस पर लगाए गए प्रतिबंध का जिक्र भी पाठ्यक्रम में होना चाहिए। लोंढ़े ने यूनिवर्सिटी से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या यूनिवर्सिटी  इन मुद्दों को भी अपने पाठ्यक्रम में जगह देगा?

इधर कोर्ट ने जनार्दन मून से कहा-आरएसएस नहीं अपने नाम पर दायर करें याचिका

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागपुर खंडपीठ ने पूर्व नगरसेवक जनार्दन मून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम हटा कर अपने नाम पर याचिका दायर करने के आदेश दिए हैं। मून ने अपनी संस्था का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बता कर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा बीए के पाठ्यक्रम में आरएसएस पर केंद्रित अध्याय जोड़ने का विरोध किया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्हें हाल ही में समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि नागपुर विवि ने बीए चौथे सेमिस्टर के पाठ्यक्रम में "साम्यवाद का उदय और विकास' नामक अध्याय हटाकर "आरएसएस की राष्ट्र निर्माण में भूमिका' नामक अध्याय जोड़ा है। याचिकाकर्ता ने यह अध्याय हटाने के लिए नागपुर विवि को निवेदन भी दिया, लेकिन विवि ने यह विवादित अध्याय नहीं हटाया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली है। मामले में सोमवार को सुनवाई रखी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अश्विन इंगोले ने पक्ष रखा।

Created On :   17 July 2019 1:32 PM IST

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