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लखनादौन में मुनमुन व बाबा फेल, शहपुरा में मरावी तथा डिंडोरी में ओमकार कमजोर साबित हुए
डिजिटल डेस्क,कपिल श्रीवास्तव,जबलपुर। कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा के 6 में से 4 निकाय जीत कर भाजपा ने जो जीत का डंका बजाया है उसकी गूंज इसके हाथ से छिटके 9 निकायों सहित शहडोल संभाग और सिंगरौली मेंं भाजपा के कमजोर प्रदर्शन ने कम कर दी है। भाजपा के लिहाज से देखें तो उसे पिछले चुनावों के मुकाबले केवल तीन नगर परिषदों (14 से बढ़ कर 17 हो गई हैं) का फायदा हुआ है। 11 नगरपालिकाएं उसके पास यथावत हैं। भाजपा को जोर का झटका उसे छिंदवाड़ा से सटे सिवनी में लगा जहां लखनादौन में जीत का पर्याय बन चुका सिवनी विधायक दिनेश राय ‘मुनमुन’ का परिवार अपनी पार्टी को नगरसत्ता नहीं दिला सका। मुनमुन स्वयं नगर परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके बाद उनकी मां और फिर बड़े भाई अध्यक्ष रहे।
पिछली परिषद भी भाजपा की ही थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में यह सीट जरूर भाजपा से छिन गई थी। कांग्रेस विधायक योगेन्द्र सिंह ‘बाबा’ भी बदले माहौल का फायदा कांग्रेस को नहीं दिला सके और केवल 2 वार्ड ही जिता सके। अब यहां के 7 निर्दलीय सर्वेसर्वा हैं और वही फैसला करेंगे कि नगर सरकार किसकी होगी। शहडोल संभाग के सिर्फ पाली में मंत्री मीना सिंह का जोर चला और वे भाजपा की नगर सरकार बनवा ले गईं। अन्यथा शहडोल, बुढ़ार, जयसिंहनगर, कोतमा तथा बिजुरी में जहां पिछली परिषद भाजपा की थी, वह बहुमत हासिल नहीं कर सकी। अनूपपुर में मंत्री बिसाहूलाल सिंह केवल नवगठित बरगवां (अमलाई) में पार्टी को जिता सके। बिजुरी में 5 निर्दलीयों ने ‘टाइ’ करा दिया तो कोतमा में कांग्रेस नंबरब वन पार्टी बन गई।
शहडोल के तीनों निकायों में अब कांग्रेस भाजपा को नगर सरकार बनाने से रोकने की रणनीति पर काम कर रही है। विंध्य के ही सिंगरौली के सरई में भाजपा केवल 2 सीटों पर सिमट गई तों बरगवां में भी वह बहुमत से दूर रह गई। यहां उसका रास्ता आम आदमी पार्टी के साथ गोंगपा व निर्दलीयों ने रोका। महाकोशल से इकलौते मंत्री रामकिशोर कांवरे और बालाघाट विधायक तथा ओबीसी आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन की जोड़ी जरूर हिट रही। बालाघाट की बैहर सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को रोका तो मलाजखंड पर कब्जा बरकरार रखा। विधायक बिसेन ने छिंदवाड़ा में भी मोर्चा संभाला और वहां के 6 में से 4 निकाय भाजपा की झोली में डलवा दिए। बालाघाट जिले के 4 निकाय भाजपा के पास हैं जबकि एक में वह बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। छठवें निकाय वारासिवनी में निर्दलीयों की नगर सरकार है और कांग्रेस सभी जगह बाहर।
डिंडोरी व मंडला ने चिंता बढ़ाई
पंचायत चुनावों के बाद निकाय चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन ने जरूर कमलनाथ की चिंता बढ़ाई है। शहपुरा जहां पिछली परिषद कांग्रेस की थी। विधायक (भूपेन्द्र सिंह मरावी) भी कांग्रेस का और जिला अध्यक्ष वीरेन्द्र बिहारी शुक्ला भी यहीं के। बावजूद इसके भाजपा ने यह सीट छीन ली। डिंडोरी में एक तरह से अपना पैररल संगठन चलाने वाले कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम भी यहां कांग्रेस को नगर सत्ता नहीं दिला सके। यही स्थिति मंडला में भी रही। बिछिया विधायक नारायणपट्टा जरुर नगर सत्ता भाजपा से छीनने में कामयाब रहे। लेकिन निवास विधायक मर्सकोल ने पूरी तरह से निराश किया। निवास की नगर सत्ता तो कांगेस के हाथ से गई ही, मंडला मुख्यालय की नगरसत्ता भी खतरे में है। यहां भाजपा आगे है। नैनपुर में निर्दलीय अपना दांव खेल गए तो बम्हनी बंजर में भी कांग्रेस ज्यादा कुछ हासिल न कर सकी।
यहां भी विधायकों ने किया निराश
कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस के 2 विधायकों विजय चौरे (सौँसर) तथा सुनील उइके (दमुआ) अपनी व पार्टी की साख नहीं बच सके और कांग्रेस के हाथ से 4 निकाय चले गए। हालिया चुनाव में कांग्रेस सिफ्र 4 नगरपालिकाएं जीत सकी जबकि बिजुरी व नैनपुर में वह निर्दलीयों से मात खा गई। पिछली बार उसे 5 नगरपालिकाओं में जीत मिली थी। इसी तरह से उसे एक नगर परिषद (7-6) का भी नुकसान हुआ।
Created On :   1 Oct 2022 2:19 PM IST