इमरजेंसी ड्यूटी के चलते मेडिकल ऑफिसर्स को संभालना पड़ता है ओपीडी

Medical officers have to handle OPD due to emergency duty
इमरजेंसी ड्यूटी के चलते मेडिकल ऑफिसर्स को संभालना पड़ता है ओपीडी
शहडोल इमरजेंसी ड्यूटी के चलते मेडिकल ऑफिसर्स को संभालना पड़ता है ओपीडी

डिजिटल डेस्क, शहडोल ।कोरोना का असर कम होने के बाद स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर लौट तो रही हैं, लेकिन जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड काल के दौरान मशीनरी व संसाधनों में बढ़ोतरी अवश्य हुई थी, जिनका उपयोग कर मरीजों का लाभ प्रदान किया जा रहा है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के चलते कई बार व्यवस्था पटरी से उतरने लगती है। सर्जन से लेकर सभी प्रमुख विधाओं में स्पेस्लिस्ट डॉक्टर्स के पद खाली पड़े हुए हैं। जो डॉक्टर हैं भी तो उनसे इमरजेंसी ड्यूटी तीन-तीन शिफ्टों में कराई जाती है, जिसके कारण ओपीडी की व्यवस्था मेडिकल आफीसर को ही संभालनी पड़ती है।
ओपीडी में लग जाती है भीड़
मेडिकल कॉलेज में भी अस्पताल का संचालन होने के कारण हालांकि ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हुई है लेकिन यह संख्या प्रतिदिन ४०० से ५०० रहती है। सुबह निर्धारित समय के बाद अधिकांश चिकित्सक ओपीडी में मिल पाते हैं। कई चिकित्सक तो वार्ड राउंड और इमरजेंसी ड्यूटी के बहाने गायब रहते हैं। ऐसे में ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और लंबी लाइन लग जाती है। कुछ समय पूर्व सेण्ट्रल ओपीडी की व्यवस्था कमरा नंबर १४ में कराई गई थी, जहां सभी चिकित्सक बैठते थे, लेकिन चिकित्सकों की कमी हो जाने से इमरजेंसी ओपीडी में ही मरीजों की भीड़ जमा हो जाती है।
विशेषज्ञ के सभी पद खाली
जिला चिकित्सालय में कई वर्षों से विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद खाली पड़े हुए हैं। पद होने के बावजूद इन पर नियुक्ति शासन स्तर से ही नहीं हो पा रही है। चाइल्ड विशेषज्ञ के सभी सात पद खाली पड़े हुए हैं। इसी प्रकार गायनिक विभाग के सभी चार, मेडिसिन विभाग के दो तथा आर्थोपैडिक तथा सर्जन में एक-एक पद खाली पड़े हुए हैं। उपरोक्त विभागों में पदस्थ कई चिकित्सकों ने या तो काम छोड़ दिया है या मेडिकल अवकाश पर हैं।
रेफर करना हुआ आसान
चिकित्सकों की कमी के कारण जिला चिकित्सालय में त्वरित उपचार मरीजों को नहीं मिल पाता। सीजर से लेकर अन्य तरह के गंभीर मर्ज के दर्जनों मरीजों को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जाता है। गायनिक विभाग में एक ही चिकित्सक सेवा दे रही हैं। एक अन्य चिकित्सक की सेवा कुछ दिन पहले से मिलनी शुरु हुई है। वहीं सर्जरी विभाग में एक मात्र चिकित्सक पदस्थ हैं। जिनका अधिकांश समय ओटी में बीतता है। उनकी सेवाएं शिविरों में भी ली जाती हैं जिसके कारण जनरल सर्जरी नहीं के बराबर हो पाती है।
बायोमेट्रिक मशीन का उपयोग बंद
डॉक्टर्स की उपस्थिति दर्ज कराने की वर्तमान में मैन्युअल व्यवस्था है। पहले  बायोमैट्रिक तरीके से उपस्थिति दर्ज कराई जाती थी। लेकिन कोरोना गाइड लाइन के चलते बायोमैट्रिक उपस्थिति को बंद कर दिया गया था, तब से यह  तरीका बंद ही है। डॉक्टर कभी भी आकर दस्तखत कर सकते हैंं। कई बार कुछ चिकित्सक जब मर्जी आया साइन करते हैं।
इनका कहना है
कोरोना काल में आईसीयू, वेंटिलेटर तथा ऑक्सीजन प्लांट की सुविधा मिली थी। जिनका उपयोग अब भी हो रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण माकूल सुविधा देने में परेशानी तो है, फिर भी मौजूदा स्टॉफ से ही मरीजों को बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जाता है।

Created On :   31 March 2022 2:39 PM IST

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