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मौत के बाद मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी नहीं दे रही बीमा राशि
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हमारी कंपनी से बीमा करवाएँगे तो लाभ मिलेगा। हमारी कंपनी आपको घर बैठे सारे क्लेमों को सेटल करेगी। इन दावों के साथ एजेंटों व बीमा कंपनियों के अधिकारियों ने बीमा पॉलिसी हजारों में बेचीं। बीमित से प्रति वर्ष पॉलिसी को रिन्यू भी करवाया। यहाँ तक कि बैंक से होने वाले ईसीएस द्वारा राशि भी बीमा कंपनी खाते में गई और एक किश्त बैंक व बीमा कंपनी की गलती के कारण नहीं पहुँची तो पूरा दोष बीमित के ऊपर डाल दिया जाता है और बैंक के साथ ही बीमा कंपनी भी क्लेम देने के नाम पर अपने हाथ खड़े कर देती है। यह स्थिति एक ग्राहक के साथ नहीं हो रही है, बल्कि सैकड़ों लोग इसी तरह के गोलमाल के शिकार हो रहे हैं। बीमित परेशान हो रहे हैं और बीमा कंपनियाँ लाखों रुपए हड़पकर भुगतान करने में पीछे हट रही हैं। बीमित के परिजन व बीमित कंज्यूमर कोर्ट की शरण में जाने मजबूर हैं।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे तक रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
बैंक खाते से ईसीएस के माध्यम से काटती थी प्रीमियम
बालाघाट जिले की बैहर तहसील रेलवे फाटक के समीप रहने वाले अमित सचदेव ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके पिता का एक्सिस बैंक में खाता था। बैंक के माध्यम से मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का इंश्योरेंस कराया हुआ था। बैंक से उन्होंने प्रीमियम जमा करने के लिए ईसीएस (इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण) कराने की सुविधा प्राप्त की थी। बीमित के खाते से प्रतिवर्ष ऑटो डेबिट बीमा राशि हो जाया करती थी। एक किश्त ऑटो डेबिट नहीं हुई तो बीमा कंपनी ने पॉलिसी बंद कर दी, जबकि बैंक अकाउंट में प्रीमियम से अधिक राशि थी। बीमित का आरोप है कि जब मेरे अकाउंट में राशि नहीं होती तो मैं दोषी होता, पर जब खाते में पर्याप्त राशि थी तो किश्त नहीं काटना बैंक व बीमा कंपनी की गलती है। इसी बीच बीमित की दिसम्बर 2017 में मृत्यु हो गई। उनकी मौत के बाद जब परीक्षण कराया गया तो बैंक व बीमा कंपनी की गलती सामने आई और उसे जिम्मेदार अधिकारी मानने तैयार नहीं हैं और बीमा क्लेम की राशि नहीं दे रहे हैं। अनेक मेल व टोल फ्री नंबर पर किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने के कारण नॉमिनी को कंज्यूमर कोर्ट में केस लगाना पड़ा है और तीन साल बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी भी तरह की राहत नहीं मिल पाई है, वहीं बीमा कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया गया, पर उनसे संपर्क नहीं हो सका।
Created On :   13 Aug 2022 4:53 PM IST