सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का विवाद, मुंबई में फोन-लैपटॉप छात्रों ने देखी गोधरा दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2002 के दौरान गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इस मामले को लेकर 6 फरवरी को सुनवाई होनी है। डॉक्यूमेंट्री को लेकर अलग-अलग जगह प्रदर्शन भी किए गए। विवाद सिर्फ बाहर सड़कों तक ही नहीं बल्कि दिल्ली के कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय जैसे जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी देखा गया।
इधर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बीबीसी की डॉक्य़ूमेंट्री से जुड़ा विवाद मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोेशल साइसेंस (टिस) में भी पहुंच गया। यहां कैंपस में कई छात्रों ने अपने मोबाइल और लैपटॉप पर यह विवादित डॉक्यूमेंट्री देखी। पहले इस डॉक्यूमेंट्री को सामूहिक रूप से बड़ी स्क्रीन पर देखा जाना था लेकिन प्रबंधन ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद निर्धारित जगह पर जमा हुए कई छात्रों ने अपने मोबाइल और लैपटॉप पर इंडिया द मोदी क्वेश्चन नाम की इस डॉक्यूमेंट्री को देखा। वही मामले की जानकारी मिलने के बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने कैंपस के बाहर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कैंपस के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। भाजपा के युवा मोर्चे ने मामले की लिखित शिकायत पुलिस स्टेशन में भी की है हालांकि पुलिस ने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। मामले में द प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फोरम ने एक बयान जारी कर दावा किया कि बड़ी संख्या में छात्रों ने साथ आकर यह डॉक्यूमेंट्री देखी।
इस साहस के लिए हम उन्हें सलाम करते हैै। भाजपा की कोशिशों और प्रबंधन से सहयोग न मिलने के बावजूद 200 से ज्यादा छात्र हमारे साथ खड़े रहे। 10 लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री चल रही थी साथ ही की छात्रों ने अपने मोबाइल पर भी इसे देखा। वहीं भारतीय जनता युवा मोर्चा के मुंबई अध्यक्ष तजिंदर सिंह तिवाना ने कहा कि सिर्फ टिस की नहीं हम मुंबई में कहीं भी यह डॉक्यूमेंट्री नहीं चलने देंगे। बता दें कि इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई विश्वविद्यालयों में इसके प्रदर्शन को लेकर विवाद हो चुका है।
Created On :   30 Jan 2023 3:20 PM IST