महासमुंद : सौर ऊर्जा से किसानों को मिल रही चलित पम्प, ड्रीप इरीगेशन सिस्टम जैसी सुविधाएं

डिजिटल डेस्क, महासमुंद। छुईपाली के किसान श्री सुनील को आधुनिक खेती से हो रहा मुनाफा महासमुंद 29 जनवरी 2021 छत्तीसगढ़ में सरकार का मुख्य फोकस किसानों के विकास पर है, इसे ध्यान में रखकर किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ा जा रहा है। महासमुंद जिले के किसानों को यहां सौर ऊर्जा से चलित पम्प, ड्रीप इरीगेशन सिस्टम जैसी सुविधाएं मिल रही है। साथ ही 15 किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए ग्रीन नेटहाउस दिया गया है। क्षेत्र के किसानों के यहां सौर ऊर्जा से चलित पम्प, ड्रीप इरीगेशन सिस्टम जैसी सुविधाएं मिल रही है। आधुनिक खेती के तौर तरीकों से जुड़ने से इन परिवारों के जीवन शैली में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। नदी किनारे जहां विद्युत लाईन नहीं है, उन किसानों को प्राथमिकता से सौर सुजला योजना से लाभान्वित करने पर जोर दिया जा रहा है। जिले के ब्लॉक सरायपाली ग्राम छुईपाली के किसान श्री सुनील खेश भी आधुनिक खेती से जुड़े है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार परम्परागत खेती करता था। वर्षा ठीक से नहीं होने पर कई बार फसल बर्बाद हो जाती थी। उन्होंने बताया कि जिला उद्यानिकी विभाग से राष्ट्रीय विकास योजना के तहत 4000 वर्गमीटर नेटहाऊस और ड्रीप इरीगेशन सिस्टम भी लगाया गया है। इससे उनका परिवार 12 महीनंे सब्जी की खेती कर रहा है और उन्हें अब मुनाफा होने लगा है। शेडहाऊस निर्माण हेतु 50 प्रतिशत अनुदान प्रदाय किया गया। परम्परागत खेती के साथ अब वह हर मौसम की सब्जी-भाजी पैदा कर रहे है। वर्तमान में उन्होंने 40 की क्विंटल बरबट्टी पैदा की। स्थानीय बाजार में बेचने पर उन्हें 1,00,000 रुपए की आमदनी हुई। उन्होंने बताया कि वे नेटहाऊस में ड्रीप इरीगेशन का उपयोग कर रहे है। उन्होंने बताया कि खाद-बीज, रोग दवाइयों के खर्च की कटौती कर 67000 रुपए का लाभ हुआ। वे वर्ष में सब्जी-भाजी उगाकर एक से डेढ़ लाख रुपए की शुद्द लाभ आय कर रहे है। नेट के फायदे के संबंध में श्री सुनील ने बताया कि हर मौसम में खेती-बाड़ी की व्यवस्था सरकारी योजनाओं ने पूरी कर दी। वह खुशी-खुशी बताते है कि अब शेड नेट हाऊस होने से वह करेला, टमाटर, लौकी एवं अन्य पत्तेदार सब्जियां आदि कर रहे है। शेड नेट से कीट-पतंगे एवं खरपतवार का प्रकोप कम होता है। उन्होंने बताया कि परम्परागत खेती से उनके परिवार की आय सीमित थी। उन्हें परिवार का खर्च चलाने के लिए मजदूरी भी करनी पड़ती थी, लेकिन सरकार की सहायता से खेती की जमीन सिंचित होने और शेडनेट तथा ड्रीप इरीगेशन सिस्टम लगने से हर मौसम में अब खेती कर रहे है। उन्होंने बताया कि उनके खेत में सौर ऊर्जा चलित सिंचाई पम्प लगने से उनके परिवार की खुशी लौट आयी है। इसके अलावा उनके यहां सिंचाई के लिए विद्युत लाईन नहीं है। इसके कारण उनके लिए सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। राज्य शासन की सौर सुजला योजना में उनके यहां सोलर पम्प लगाया गया है। इससे उनकी खेती सिंचित हो गई है। उद्यानिकी विभाग के द्वारा उनके यहां आधा एकड़ में शेडनेट और ड्रीप इरीगेशन सिस्टम लगा कर दिया है। इसके साथ-साथ मलचिंग का भी उपयोग कर रहे। इससे उनका परिवार 12 महीने सब्जी की खेती कर रहा है। वह सौर सिंचाई पंप का एक बटन दबाकर अपने खेत की हर मौसम में सिंचाई कर रहें है।
Created On :   30 Jan 2021 2:36 PM IST