छोटे दलों के उम्मीदवारों के सामने कड़ी चुनौती,अस्तित्व की लड़ाई बना विधानसभा चुनाव

Maharashtra assembly polls small parties get less votes
छोटे दलों के उम्मीदवारों के सामने कड़ी चुनौती,अस्तित्व की लड़ाई बना विधानसभा चुनाव
छोटे दलों के उम्मीदवारों के सामने कड़ी चुनौती,अस्तित्व की लड़ाई बना विधानसभा चुनाव

डिजिटल डेस्क, यवतमाल।  विधानसभा चुनाव के लिए रणसंग्राम छिड़ा हुआ है। पहले के मुकाबले चुनाव लड़ना इतना आसान नहीं रह गया है। इस बार भी छोटे 17 दलों की स्थिति अत्यंत दयनीय दिखाई दे रही है। इन दलों के उम्मीदवारों के पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होने से वोट भी कम ही मिलते रहे हैं। इसके बावजूद वे चुनाव में अस्तित्व की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं। 

यवतमाल जिले की 7 विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे कई छोटे दलों के प्रत्याशी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें मनसे, बसपा, प्रबुद्ध रिपब्लिकन पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी, वंचित बहुजन आघाड़ी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सरदार वल्लभ भाई पार्टी, विदर्भ राज्य आघाड़ी, बलिराजा पार्टी, प्रहार जनशक्ति पार्टी, बहुजन विकास आघाड़ी, सम्मान राजकीय पक्ष, डिजिटल ऑर्गनाइजेशन पार्टी, आंबेडकर राइट पार्टी ऑफ इंडिया (एपीआई), टीपू सुल्तान पार्टी, बहुजन महापार्टी, संभाजी ब्रिगेड आदि का समावेश है। इन लोगों के पास न तो प्रचार सामग्री होती है और न ही प्रचार के लिए कोई वाहन। यह लोग चाह कर भी विधानसभा के पूरे गांव का दौरा भी नहीं कर पाते हैं। कभी-कभी तो मतदाताओं को मतदान के दिन ईवीएम पर उनके नाम पहली बार दिखाई देते हैं। सक्षम उम्मीदवार ही अपने पैसे से लोगों तक पहुंचने का और प्रचार करने का काम कर रहे हैं।

पृथक विदर्भ का एक उम्मीदवार मैदान में

2014 के चुनाव के समय भाजपा के नेता तथा वर्तमान में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने पृथक विदर्भ राज्य देने की बात कही थी, मगर अब यह वादा वे भूल चुके हैं। पृथक विदर्भ के लिए पूर्व विधायक वामन चटप ने कई आंदोलन किए गए, मगर कोई लाभ नहीं हुआ। इस चुनाव में यवतमाल विधानसभा में विदर्भ राज्य आघाड़ी से एकमात्र उम्मीदवार अमोल बोरखड़े मैदान में हैं। यवतमाल जिले के बाकी किसी भी विधानसभा क्षेत्र में इस आघाड़ी से कोई प्रत्याशी नहीं है। जनता में पृथक विदर्भ राज्य की बात तक नहीं हो रही है।

कुछ पार्टियों के रोचक नाम

इस चुनाव में कुछ ऐसी पार्टियां भी चुनाव मैदान में उतरी हैं, जिनके नाम बड़े रोचक हैं। इनमें टीपू सुल्तान पार्टी, सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर बनी पार्टी, बलिराजा पार्टी, डिजिटल ऑर्गेनाइशन पार्टी जैसी पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में डटे हैं। 

पार्टियों के बड़े नेता आते तक नहीं  
इन दलों के प्रचार के लिए न तो उनकी पार्टी का कोई बड़ा नेता आता है और न ही चुनाव लड़ने के लिए पार्टी कोई  सहायता करती है। इन्हें मिलने वाले वोटों की संख्या इतनी भी नहीं होती कि वे अपनी जमानत बचा सकें। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में यवतमाल की सीट से केवल बसपा के एक प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो सका था।  

Created On :   12 Oct 2019 6:22 PM IST

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