लॉकडाउन - पापड़ बनाने वालीं सैकड़ों महिलाएँ दाने-दाने को मोहताज

Lockdown - Hundreds of women making papad are disillusioned
लॉकडाउन - पापड़ बनाने वालीं सैकड़ों महिलाएँ दाने-दाने को मोहताज
लॉकडाउन - पापड़ बनाने वालीं सैकड़ों महिलाएँ दाने-दाने को मोहताज

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना का कहर पापड़ बनाने वालीं सैकड़ों महिलाओं पर मुसीबत बनकर बरपा है। जिन हाथों से वे मसालेदार स्वादिष्ट पापड़ बनाती थीं, उन हाथों के पास अब कोई काम नहीं है। लॉकडाउन की वजह से काम बंद होने के बाद अब पापड़ बनाने वालीं महिलाओं के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है, समय बीतने के साथ ही वे दाने-दाने को मोहताज हैं। शहर में कई कंपनियाँ महिलाओं से पापड़ बनवाने का काम करवाती हैं, जो रोजाना सुबह अपनी कार्यक्षमता के अनुसार आटा लेकर आती हैं और शाम या अगले दिन तक माल के अनुसार पापड़ बेलकर कंपनियों को वापस लौटाती हैं, जिनके बदले में उन्हें इतने पैसे तो मिल ही जाते हैं कि वे अपनी दाल-रोटी चला सकें, लेकिन कोरोना संकट के बाद से दाल-रोटी भी मुश्किल से मिल रही है। 
परेशानियाँ तो बहुत हैं, लेकिन किससे कहें, कोई सुनता ही नहीं- पिछले बीस वर्षों  से पापड़ बनाने वालीं यादव कॉलोनी स्थित पटेल मोहल्ला में रहने वालीं रेखा, आशा पटेल, ममता, पिंकी, मीनाकुमारी, मंजू, राधा पटेल ने बताया कि लॉकडाउन के पहले 3-5 किलो आटा वे ले आती थीं और उसके पापड़ बनाकर शाम तक वापस लौटा देती थीं, जिससे 150 से लेकर 250 रुपए तक वे कमा लेती थीं लेकिन लॉकडाउन के बाद काम बंद हो गया और हमारे जैसी पापड़ बनाने वालीं सैकड़ों महिलाएँ बेरोजगार हो गईं हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण एक तो  काम छूट गया, ऊपर से सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि सरकारी मदद के हल्ले के बीच किसी ने उनके मोहल्ले में आकर उनकी सुध तक नहीं ली। पिछले वर्षों में जो थोड़ा बहुत पैसा बचाया था, वो भी खर्च हुआ जा रहा है। आगे की चिंता सता रही है।  

Created On :   13 May 2020 9:35 AM GMT

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