लॉकडाउन से सुधरेगी स्थिति, चेन सिस्टम से बढ़ता है आक्रमण

Lock down will improve situation chain system increases attack
लॉकडाउन से सुधरेगी स्थिति, चेन सिस्टम से बढ़ता है आक्रमण
लॉकडाउन से सुधरेगी स्थिति, चेन सिस्टम से बढ़ता है आक्रमण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना को लेकर तीन देशों ने जो गलतियां की है उससे हमें सबक लेते हुए सरकारी निर्देशों का पालन करना चाहिए। द.कोरिया, इटली और ईरान  की उन गलतियों से सबक लेने को कहा जा रहा है, जहां उसे हल्के में लिया गया और सरकार के आवश्यक निर्देशों का पालन नहीं हुआ। जब तक यह बात उन्हें समझ में आती, तब तक यह बीमारी महामारी का रूप ले चुकी थी। दरअसल, कोरोना की खासियत यह है कि हमारे सामने जो मरीज दिखते हैं, केवल वही मरीज नहीं हैं, इससे कई गुना ज्यादा मरीजों की संख्या छिपी हुई है, जो हमारे आप के बीच है। एक-एक कर जब अचानक से यह सामने आए, तो सरकार की सारी व्यवस्थाएं ही फेल हो गईं। दक्षिण कोरिया ने 104 की संख्या को हल्का समझा, मगर बाद में यहां 5328 मरीज सामने आए। वहीं इटली ने शुरुआती संख्या 150 ही मानी, मगर बाद में 4636 मरीज सामने आए। इसी तरह ईरान ने भी शुरुआत में 978 संक्रमित को सामान्य समझा और इससे निपटने के लिए इंतजाम भी ठीक-ठाक ही थे, मगर यह संख्या 11364 तक पहुंच गई और इससे निपटने के संसाधन भी सरकार के पास नहीं थे। ऐसे में सभी का इलाज तो दूर की बात, 30 से 40 प्रतिशत का ही इलाज हो पाया, जिसके कारण मौत के आंकड़े बढ़े। 

खुद में सिमटना ही इस संक्रमण को फैलने से रोकने का पहला उपाय है
यदि काेरोना वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है तो उसका लक्षण दिखने में 2 से 14 दिनाें का समय लगता है। मान लीजिए यदि 1 फरवरी को एक कोरोना संक्रमित मरीज है और 14 फरवरी को  10 व्यक्ति संक्रमित पाए गए हैं। तो इसका कतई यह मतलब नहीं कि वे उसी 14वें दिन संक्रमित हुए हैं। दरअसल, किसी बाजार व्यवस्था के तहत श्रृंखलाबद्ध ढंग (चेन सिस्टम) से ये तेजी से फैलते हैं। पहले एक का संक्रमण और फिर उससे 5 का संक्रमण और फिर इसी तरह गुणात्मक संक्रमित मरीज सामने।  यदि हम पहले ही संक्रमित को अलग-थलग करने में कामयाब हो पाते, तो चेन बनने की नौबत ही नहीं आती। और आंकड़ा गुणात्मक रूप से आगे नहीं बढ़ता। मतलब साफ है जितने ज्यादा संक्रमित लोग बाहर घूम रहे हैं, वे गुणात्मक रूप से मरीज बनाते जाएंगे। इसलिए खुद में सिमटना ही इस संक्रमण को फैलने से रोकने का पहला उपाय है।   

इसलिए जरूरी है आपका घर में रहना
जितने भी देश बुरी तरह कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, वहां पर शहर को बंद करने और सोशल बॉयकॉट करने की प्रक्रिया को देरी से अपनाया गया था। जिसके कारण यह बड़े स्तर पर फैल गया। जैसे ही इन देशों ने लॉकडाउन किया, उसके बाद कोरोना के केस में दिन पर दिन गिरावट हुई है। हालांंकि अभी भी कोरोना के केसेस मिल रहे हैं। 

 कोरोना फेज-3 की गंभीरता जानें
भारत में कोरोना फिलहाल दूसरे स्टेज पर है। इसका अर्थ है कि यह महामारी भारत में पहुंच चुकी है। जिसमें अभी केवल विदेश आए लोग और उनके संपर्क में आए लोग ही संक्रमित है। फेज तीन में यह भयावह स्थिति में पहुंच जाएगा। फेज तीन में इसकी संक्रमण क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। अप्रैल माह तक फेज तीन में पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन यदि इससे पहले ही उपाय कर लिए गए तो फेज तीन से पहले ही इस पर रोक लगाई जा सकती है। इसमें चार फेज होते हैं। फिलहाल इटली फेज 4 पर है।

अब तक 228 सैंपल की मेयो में हो चुकी है जांच
विदर्भ के एकमात्र वायरल रिसर्च एंड डायग्नोसिस लैबोरेटरी की स्थिति- मेडिकल, एम्स, अकोला से बुलाए गए स्वास्थ्यकर्मी इस जांच टीम में शामिल हैं। नागपुर विदर्भ भर में कोविड 19 संक्रमण की जांच नागपुर के इंदिरा गांधी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में हो रही है। यहां तक कि छत्तीसगढ़, मप्र के कई भागों से भी सैंपल जांच के लिए मेयो भेजे जा रहे हैं। मेयो के डीन डॉ. अजय केवलिया के अनुसार, मेयो में अब तक 248 सैंपल की जांच हो चुकी है। जांच में तेजी लाने के लिए मेडिकल, एम्स, अकोला से मेडिकलकर्मी मेयो पहुंच चुके हैं। जांच की ट्रेनिंग कर चुके लोग भी टीम में काम कर रहे हैं। डीन डॉ. अजय केवलिया और माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. शर्मिला राऊत के नेतृत्व में टीम काम कर रही है।

जांच में काफी मदद मिल रही है अभी
जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द देने के लिए मानव संसाधन बढ़ाए जाने की जरूरत थी। हमने एम्स, नागपुर मेडिकल कॉलेज और अकोला मेडिकल कॉलेज से मदद मांगी थी। अब हमारे पास और तीन टेक्नीशियन हैं। इससे जांच जल्द करने में मदद मिल रही है। 
-डॉ. अजय केवलिया, डीन मेयो

Created On :   20 March 2020 1:51 PM IST

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