जमीन के भीतर बचा है थोड़ा पानी, अब ठोस कदम उठाने का वक्त

Little water left inside Land, now time to take concrete steps
जमीन के भीतर बचा है थोड़ा पानी, अब ठोस कदम उठाने का वक्त
जमीन के भीतर बचा है थोड़ा पानी, अब ठोस कदम उठाने का वक्त

डिजिटल डेस्क, पुणे। मैगसेसे पुरस्कार विजेता और जल विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्रसिंह राणा ने कहा कि हमारा असली बैंक आरबीआई नहीं बल्कि पानी है। देश में जमीन के भीतर 72 फीसदी पानी खाली हो चुका है। इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। सांगली में महात्मा गांधी ग्रंथालय की ओर से महात्मा गांधी और पर्यावरण विषय पर आयोजित व्याख्यान में डॉ. राणा बाेल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में 365 जिले तथा 17 राज्यों की जमीन के भीतर होनेवाले पानी की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जिस तरह से बीमार होने पर हम इलाज करवाते हैं, उस तरह से पृथ्वी को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाने के लिए उपाय करने होंगे। 

जमीन पर पानी रोकना होगा, इसका भंडार करना जरूरी है। इससे तापमान कम होगा। तालाब, नहर निर्माण कर हरियाली का फैलाव करना होगा। खनिज उत्खनन, प्रदूषण रोकने की खास जरूरत है। अनाज उत्पादन में बारिश और उचित समय का ध्यान रखने से जमीन के भीतर का पानी बच सकता है। कम पानी में अधिक उत्पादन किया जा सकता है।

डॉ. राणा ने कहा कि महात्मा गांधी ने देश को आजाद करने के लिए आंदोलन किया। उस समय मैंचेस्टर कंपनी कपड़ों के माध्यम से जनता को लूट रही थी। यह देख गांधी ने छोटा सा चरखा लेकर स्वदेशी आंदोलन शुरू किया। वर्तमान में अगर गांधी हाेते तो वे सब से पहले बंद बोतल के व्यापार में हो रही लूट रोकते। बंद बोतल पानी का व्यापार पिछले साल 50 हजार करोड़ रूपए का था। जो लगातार बढ़ रहा है। 

जमीन के भीतर का पानी का दिन ब दिन कम होता जा रहा है। यह जानकारी भारत सरकार, सेंट्रल वॉटर कमिशन तथा नीति आयोग की है। कम होते जा रहे पानी के भंडार पर गंभीरता से सोचना चाहिए। 

Created On :   3 March 2020 6:24 PM IST

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