चंद्रपुर में शराब बना मुख्य चुनावी मुद्दा, महिला व युवा मतदाताओं के वोट साबित होंगे निर्णायक 

Liquor is the biggest topic in Chandrapur for upcoming lok sabha election
चंद्रपुर में शराब बना मुख्य चुनावी मुद्दा, महिला व युवा मतदाताओं के वोट साबित होंगे निर्णायक 
चंद्रपुर में शराब बना मुख्य चुनावी मुद्दा, महिला व युवा मतदाताओं के वोट साबित होंगे निर्णायक 

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। चंद्रपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मुद्दों के बजाय शराब चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां शराबबंदी प्रमुख चुनावी मुद्दा है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने चंद्रपुर जिले में वर्ष 2015 में शराबबंदी की घोषणा की थी, लेकिन इस पर कड़ाई से अमल करने में सरकार व प्रशासन कामयाब नहीं हो पाया। इससे जिले के महिला संगठन भी दो खेमे में बंट चुके हैं। एक संगठन सरकार को शराबबंदी पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर रहा है, तो दूसरा संगठन शराबबंदी का समर्थन करने वाले उम्मीदवार के पक्ष में है। इस बीच सोशल मीडिया पर शराबबंदी के पक्ष-विपक्ष में बहसबाजी चल रही है। चुनावी सभाओं में शराब कारखानों के मालिक रहे नेताओं की सभाओं में आरोप-प्रत्यारोप चरम पर है। शराबबंदी पर कड़ाई से अमल में न होने और राजनीतिक बयानबाजी के गिरते स्तर से यहां की महिलाएं दो खेमों में बंट चुकी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस चुनाव में 9 लाख 12 हजार 526 महिला मतदाताओं के वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं। 

13 उम्मीदवार मैदान में
चंद्रपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 13 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें भाजपा के हंसराज अहिर, कांग्रेस के सुरेश उर्फ बालू धानोरकर, वंचित बहुजन आघाड़ी के एड. राजेंद्र महाडोले, बसपा के सुशील वासनिक, बहुजन मुक्ति पार्टी के डॉ. गौतम नगराले, बहुजन रिपब्लिकन सोशालिस्ट पार्टी के दशरथ मड़ावी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नामदेव शेडमाके, आंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के नीतेश डोंगरे, प्राऊटिस्ट ब्लॉक इंडिया के मधुकर निस्ताने, निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद राऊत, नामदेव किन्नाके, मिलिंद दहीवले, राजेंद्र हजारे शामिल हैं।

होगा वोटों का विभाजन
वर्ष 1999 के चुनाव के बाद कोई भी तीसरा उम्मीदवार 80 हजार से 2 लाख तक वोट हासिल नहीं कर पाया, लेकिन बीते चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रहे एड. वामनराव चटप ने 2 लाख से अधिक वोट लेकर चुनाव को रोचक बना दिया था। इस चुनाव में उनकी गैरमौजूदगी से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार भले ही न हों, लेकिन वोट विभाजन में वंचित बहुजन आघाड़ी, बीआरएसपी व बसपा जैसी पार्टियां अहम भूमिका अदा कर सकती हैं। यदि यह पार्टियां अधिक वोट हासिल करती हैं तो इस चुनाव में हार-जीत का अंतर घटकर रह जाएगा।

ये हैं अन्य चुनावी मुद्दे  
चुनावी प्रचार सभाओं और रैलियों में शराबबंदी के साथ बेरोजगारी, बंद पड़े उद्योग, सिंचाई की समस्या, अधूरी परियोजनाओं के अलावा प्रकल्पग्रस्त व किसानों के विषय चर्चा में है। चंद्रपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में वर्ष 2000 से लेकर 2014 तक के तीन चुनावों में यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ। इस बार स्थिति बदली नजर आ रही है। यहां भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला होने के आसार हैं। 18 से 29 वर्ष आयु वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3 लाख 79 हजार 849 हैं। इनमें से अधिकांश युवा पहली बार वोट देंगे। औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर चंद्रपुर जिले में बेरोजगारी गंभीर समस्या है। इसके कारण युवा मतदाता चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। सोशल मीडिया से लेकर चुनावी रैलियों में युवाओं का बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना यही संकेत दे रहा है। 

9 बार कांग्रेस व 4 दफा भाजपा जीती वर्ष 1951 से वर्ष 2014 तक चंद्रपुर में लोकसभा के 16 चुनाव हुए। इनमें से 9 बार कांग्रेस तो 4 बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है। 2 चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार तथा एक चुनाव में बीएलडी पार्टी के उम्मीदवार ने यहां की सीट पर कब्जा किया था।

Created On :   9 April 2019 4:26 PM IST

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