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शहडोल संभाग में पुस्तकालयों को अच्छे दिन का इंतजार, 37 लाख देने के बाद भी निर्माण अधूरा।
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डिजिटल डेस्क, शहडोल। किताबें ही हैं जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान का प्रसार होता है। हमारे पूर्वजों ने क्या किया और हमारा गौरवशाली इतिहास कैसा रहा है, इसकी जानकारी हमें किताबों से ही मिलती है। इन सबके बीच आज वर्ल्ड बुक डे पर हम बात कर रहे हैं, शहडोल संभाग में पुस्तकालयों की स्थिति पर। ज्ञान के केंद्र यहां दुर्दशा के शिकार हैं। शहडोल में जिला पुस्तकालय के सुद्धणीकरण के लिए 2018 में 37 लाख 50 हजार रुपए पीडब्यूडी विभाग को देने के चार साल बाद भी काम पूरा नहीं हुआ। अनूपपुर जिला मुख्यालय स्थित पुस्तकालय अब अखबार पढऩे तक सीमित रह गया है, तो उमरिया में नवीन पुस्तकालय भवन निर्माण के लिए पुराने भवन को तोड़ तो दिया गया, लेकिन नवीन निर्माण दुकाने बनाने तक सीमित रही। व्यवसायिक कांम्प्लेक्स के उपर पुस्तकालय का निर्माण नहीं हो सका।
शहडोल में 32 हजार किताबों का भंडार, 10 बार पत्र लिखने के बाद भी शुरु नहीं हुआ निर्माण-
जिला पुस्तकालय शहडोल का इतिहास गौरवशाली रहा है। 1956 से चल रहे इस पुस्तकालय में 32 हजार 5 सौ से ज्यादा किताबें हैं। यहां भवन सुद्धणीकरण के लिए 2018 में 37 लाख 50 हजार रुपए लोक शिक्षण संचालनालय ने पीडब्ल्यूडी विभाग को जारी किया। इसी प्रकार बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए 2019 में 7 लाख 36 हजार रुपए जारी किया गया। खासबात यह है, कि राशि भोपाल से आधी ही शहडोल पीडब्ल्यूडी को मिली और निर्माण भी अधूरा रह गया। जानकर ताज्जुब होगा कि चार साल की अवधि में शहडोल पुस्तकालय प्रभारी दस बार विभागीय अधिकारियों के साथ ही पीडब्ल्यूडी विभाग को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ सका। जिम्मेदारों की लापरवाही ऐसी लोक शिक्षण विभाग से पूरा पैसा मिल जाने के बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने निर्माण रोके रखा है। इसका सीधा खामियाजा उन पुस्तक प्रेमियों को भुगतना पड़ रहा है, जो यहां ज्ञान अर्जन के लिए आते हैं
काम पूरा होने से यह लाभ-
जिला पुस्तकालय में अधूरे निर्माण के पूरा होने से ई-लाइब्रेरी प्रारंभ करने की तैयारी थी, जो कि अधूरा ही रह गया।
14 सौ स्थाई सदस्य-
जिला पुस्तकालय शहडोल में 14 सौ स्थाई सदस्य हैं। यहां वर्तमान में महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग पढऩे की व्यवस्था है। यहां प्रतिदिन 80 से 100 बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं। इसमें 50 से ज्यादा बच्चे अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
अनूपपुर में किताबें गायब, कोतमा वाचनालय में दो साल से ताला-
पूरी दुनिया विश्व पुस्तक दिवस मना रही है, तो अनूपपुर जिले में वाचनालयों की स्थिति चिंताजनक है। अनूपपुर जिला मुख्यालय में कहने को तो तीन वाचनालय हैं, लेकिन किसी में माहौल ऐसा नहीं है कि वहां सुकून के साथ बैठकर पुस्तकें पढ़कर ज्ञानअर्जन किया जा सके। नगर पालिका परिषद अनूपपुर द्वारा संचालित पंडित शंभूनाथ शुक्ल स्मारक पब्लिक लाइब्रेरी कभी साहित्य, प्रतिस्पर्धात्मक मैंगजीन, धार्मिक और सांस्कृतिक किताबों से भरी रहने वाली लाइब्रेरी अब समाचार पत्रों तक ही सिमट कर रह गई है। वर्ष 1984 में विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व शहडोल जिले के निर्माता पंडित शंभूनाथ शुक्ल के नाम पर खोली गई लाइब्रेरी का उद्घाटन प्रदेश के मुख्य सचिव शरतचंद्र बेहार ने किया था। तब परिषद के प्रथम अध्यक्ष भाईलाल पटेल,ओम प्रकाश द्विवेदी, प्रेम कुमार त्रिपाठी के द्वारा संरक्षित व प्रोत्साहित लाइब्रेरी में जिले के हजारों छात्र-छात्राओं ने पढ़ाई की और नाम कमाते हुए अच्छी नौकरी एवं प्रतिष्ठा प्राप्त की।
नगर के साहित्यकार राम नारायण पांडे इसी लाइब्रेरी की अपनी 30 वर्ष की सेवा के उपरांत सेवानिवृत हुए। पूर्व में 30 वर्षों में लाइब्रेरी दोपहर 4 से 10 बजे तक संचालित होती थी। रविवार को साप्ताहिक अवकाश के अतिरिक्त पूरे साल लाइब्रेरी खुलती थी।
कोशिश यह भी होती थी कि शाम 4 बजे से पहले लाइब्रेरी खुल जाए, जिससे स्कूल से छूटकर बच्चे यहां पढ़ाई कर सकें पर अब यहां किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं होने की वजह से पाठकों ने भी वाचनालय से दूरी बना ली है। कलेक्ट्रेट परिसर में ही तत्कालीन कलेक्टर चंद्र मोहन ठाकुर के द्वारा लाइब्रेरी की शुरुआत कराई गई थी। यहां भी हिंदी और अंग्रेजी साहित्य की किताबें बुलाई गई, उनके स्थानांतरण के पश्चात अब किताबें शोपीस बनकर रह गई है। जनसंपर्क कार्यालय में बंद तालों के अंदर रखी इन किताबों की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।
दूसरी ओर कोतमा नगर पालिका में भी दो दशक पूर्व लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी, साहित्य के साथ-साथ छात्र छात्राओं के लिए ज्ञानवर्धक किताबें उपलब्ध कराई गई थी। धीरे-धीरे यह व्यवस्था खत्म हुई। वर्ष 2019 में तत्कालीन एसडीएम अमन मिश्रा के द्वारा एक बार फिर लाइब्रेरी को शुरू करते हुए छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पढ़ाया जाने लगा। वर्ष 2020 में उनका स्थानांतरण हुआ और तब से दो साल हो गए कोतमा के वाचनालय में लगा ताला आज तक नहीं खुल पाया।
इस संबंध में अनूपपुर कलेक्टर सोनिया मीना का कहना है, कि संबंधित नगरपालिका अधिकारियों को निर्देशित करते हुए वाचनालय की व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी। वही कलेक्ट्रेट परिसर में अनुकूल वातावरण तैयार कराया जाएगा।
Created On :   23 April 2022 6:22 PM IST