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श्रम विभाग को नहीं बीड़ी उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों की जानकारी
डिजिटल डेस्क,नरसिंहपुर। जिले में यू तो बीड़ी बनाने के छोटे-बड़े कई उद्योग है, लेकिन श्रम विभाग के पास इनके कुछ भी अपडेट आंकड़े उपलब्ध नहीं है। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं, यह भी नहीं मालूम?
गौरतलब है कि जिले में बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता होता है, जिससे जिले में छोटे-बड़े कई बीड़ी उद्योग कार्यरत है। इन उद्योगों मे कार्यरत श्रमिक पंजीकृत है या नहीं, उन्हें सही मजदूरी मिल रही है या नहीं, इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। श्रम विभाग वर्षो पुराने आंकड़ों पर निर्भर है, यहां तक की इन उद्योगों का कभी निरीक्षण भी नहीं होता।
श्रम विभाग की जिम्मेदारी
बीड़ी उद्योगों के लिए बीड़ी बनाने बीड़ी निर्माता श्रमिकों को श्रम विभाग की भाषा में घर खाता श्रमिक कहा जाता है। हालांकि इसके लिए कल्याण संबंधी योजनाओं की सुविधा के लिए श्रम विभाग का ही अलग कल्याण कार्यालय है। जो कि जबलपुर में स्थित है। बीड़ी बनाने के लिए श्रम नियोजक, पंजीकरण, मजदूरी आदि की निगरानी श्रम विभाग के हाथ में है।
12 उद्योग पंजीकृत
श्रम विभाग के वर्षों पुराने रिकार्ड के अनुसार जिले में 12 छोटे बीड़ी उद्योग हैं तथा नरसिंहपुर, गोटेगांव के श्रीनगर तथा गाडरवारा में बीड़ी बनाने का काम होता है। बताया गया है कि जिले में बनने वाली बीड़ी का बिक्री स्थानीय तौर पर अथवा आसपास होती है। क्योंकि समीपी जबलपुर तथा सागर जिला बीड़ी हब के रूप में पहचान रखते हैं।
12 सौ का पंजीयन
श्रम विभाग के पुराने आंकड़ों के अनुसार 12 सौ बीड़ी श्रमिकों का पंजीयन विभाग में है, लेकिन इसका कभी निरीक्षण नहीं हुआ कि पंजीकृत श्रमिक भी बीड़ी बनाने के काम में लगे हैं कि नहीं यह भी विभाग नहीं जानता है। जबलपुर स्थित श्रम कल्याण कार्यालय के माध्यम से इन बीड़ी श्रमिकों के लिए चिकित्सा सेवा, मृत्यु सहायता आदि दिए जाने का प्रावधान है है,लेकिन इन योजनाओं का लाभ श्रमिकों को मिल रहा है या नहीं विभाग के पास इसकी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है।
पंजीयन जरुरी
बीड़ी उद्योगों के लिए श्रम विभाग में पंजीयन जरुरी है। सूत्रों के अनुसार शासकीय नियमों में 50 हजार तक बीड़ी बनाने वाले उद्योगों को पंजीयन से छूट है, लेकिन उससे अधिक बनाने पर श्रम विभाग में पंजीयन जरुरी है। बताया गया है कि 50 हजार बीड़ी तक की छूट के नियमों का फायदा उठाकर अवैध बीड़ी निर्माण की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन श्रम विभाग को इसकी कोई जानकारी नहीं है। यहां एक और तथ्य यह है कि पंजीकृत स्थाई श्रमिकों की मजदूरी दर, पीएफ कटौती तथा पेंशन की भी कोई स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं है।
नहीं मिले बाल श्रमिक
बीड़ी निर्माण अथवा बीड़ी उद्योग में बाल मजदूरी की पूरी तरह प्रतिबंधित है एवं श्रम विभाग की नजर में एक भी बाल श्रमिक बीड़ी निर्माण में नियोजित नहीं है। जबकि घरेलू उद्योग के समान चलने वाले बीड़ी निर्माण कार्य में बालकों द्वारा बीड़ी निर्माण आम बात है। निरीक्षण के अभाव तथा नवीन आंकड़ों की गैर मौजूदगी में श्रमिक यथायोग्य लाभ से वंचित हैं।
श्रम निरीक्षक नरसिंहपुर का इस संबंध में कहना है कि कारखाना परिसर में काम करने वाले मजदूरों का पंजीयन बीड़ी उद्योग के तहत कराया जाता है, लेकिन बाहर फील्ड पर बीड़ी बनाने वाले श्रमिक शामिल नहीं पाते हैं। हमारे विभाग से सीधे यह व्यवस्था नहीं जुड़ी है इसी वजह से शिकायत पर ही कार्रवाई की जा सकती है।
Created On :   5 Dec 2017 1:30 PM IST