जानिए - पहाड़ियों की रानी की सफलता की कहानी, कचरे से पटी रहने वाली नदी से बहने लगी अमृत धारा

Know - the success story of the Queen of the Hills
जानिए - पहाड़ियों की रानी की सफलता की कहानी, कचरे से पटी रहने वाली नदी से बहने लगी अमृत धारा
अनोखी मिसाल जानिए - पहाड़ियों की रानी की सफलता की कहानी, कचरे से पटी रहने वाली नदी से बहने लगी अमृत धारा

डिजिटल डेस्क, मसूरी। यह बात साबित हो रही है कि दूरदृष्टि, दृढ़ इच्छाशक्ति औऱ जागरूक नागरिकों के सहारे भारत के सभी दर्शनीय स्थलों को "प्लास्टिक कचरा" मुक्त बनाया जा सकता हैा। एक बेहतर दूरदृष्टि और मसूरी को स्वच्छ बनाने की इच्छाशक्ति की बदौलत शहर में अनोखी मिसाल कायम हो सकी है। इसका ताजा उदाहरण "गढ़ीखाना" लैंडफिल की सफाई है, जो औपनिवेशिक काल से पहले की है। सफ़ाई का यह काम हिलदारी संस्था के प्रयासों से ही पूरा हो सका है। जिसने नागरिकों के साथ-साथ आसपास की पारिस्थितिकी के लिए खतरा बन गए लैंडफिल को साफ कर प्रशंसनीय कार्य किया। जिससे मसूरी को भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने के पिछले प्रयासों का एक बड़ा कदम है।

Best Places To Visit in Mussoorie | Mussoorie Tourist Attractions | Wild  Flower Cottage

अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही यह लैंडफिल जिसमें क़रीब 10,000 मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरा होता था, पर्यटन और यहाँ के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन गया था। क्योंकि इससे निकलने वाला कचरा पास की एक नदी में गिरने की पूरी संभावना थी, जिसका पानी पेयजल के रूप में पूरी शहर को मिलता है। साथ ही यमुना की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी होने के कारण अगलार नदी लैंडफिल के कारण यमुना के प्रदूषण को भी बढ़ा सकती थी।

dozens of fish died due to the poisonous water of yamuna river in agra |  Agra News: यमुना के जहरीले पानी से दर्जनों मछलियां मृत, आरोप- कारखानों के  केमिकल से हालात हुए

इस लैंडफिल को साफ करने के लिए तकनीकी आधारित ठोस कचरा प्रबंधन तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है, जैसे कचरा उठाने वालों को प्रशिक्षित करना और कचरे को ट्रैक करने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग किया गया। कचरा-ट्रीटमेंट करने के लिए हिलदारी ने कचरे को "सूखे कचरे" और "गीले कचरे" में अलग करने के लिए लोगों को प्रेरित करके कचरे के उत्पादन स्त्रोत पर ही कचरे का ट्रीटमेंट शुरू कर दिया।

इसके बाद गीला कचरा नियमित तौर पर ट्रीटमेंट के लिए देहरादून भेजा जाता रहा और सूखा कचरा अन्य स्थानीय सहयोगियों की मदद से ट्रीट किया जाता रहा।

इंदौर पैटर्न के अनुसार विलगीकरण हेतु 54 करोड की फिजूलखर्ची

 

इस प्रकार 36% कचरे का निस्तारण पूरा किया जाता रहा। मसूरी के निवासियों के दरवाजे डिजिटल रूप से चिह्नित किए गए और कचरे को ट्रैक करने के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया गया।

इस प्रकिया ने लोगों में कचरे को लेकर व्यवहारिक परिवर्तनों को बढ़ावा दिया इस प्रकार उत्पादन में कमी देखने को मिली तथा इसने कचरे के अलगाव को आसान बना दिया।

"नेस्ले इंडिया" द्वारा समर्थित  इस प्रोजेक्ट हिलदारी को "स्त्री मुक्ति संगठन" ने मसूरी में शुरू किया तथा इसे "रीसिटी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड" ने तकनीकी सहयोग दिया। ये संस्थान भारत के पर्यटन स्थलों को "प्लास्टिक कचरा प्रबंधन" के क्षेत्र में पूरी तरह से एक समावेशी, प्रासंगिक और लचीला मॉडल देने के मिशन पर हैं।

वर्तमान में यह मिशन देश के 6 शहरों मसूरी, नैनीताल, डलहौजी, महाबलेश्वर, पोंडा और मुन्नार में चल रहा है,यह परियोजना पिछले तीन वर्षों में 35976 लोगों को "कचरा पृथक्करण" और "गंदगी न फैलाने के व्यवहार के महत्व" पर शिक्षित कर चुकी है।

खासकर नैनीताल की बात करें तो हलदारी संस्था और ग्रीन आर्मी की ओर से विभिन्न स्थानों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया था। जिसमें युवाओं ने झील के किनारे से कूड़ा एकत्रित किया था। युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

प्रोजेक्ट हिलदारी इन शहरों में क़रीब 546 "कचरा श्रमिकों" को प्रोफेशनल रूप से तैयार कर रहा है। इसमें मसूरी में जुड़े हुए लगभग 200 कचरा श्रमिक ऐसे भी शामिल हैं जिन्हें पूरी तरह प्रोफेशनल बनाया जा चुका है। यह शहरी स्थानीय निकायों को "उत्तम कचरा संग्रहण सेवाएं" प्रदान करने में सक्षम बनाने पर ज़ोर दे रहा है। यह तकनीकी सहयोग के माध्यम से अपने कार्यों में रियल टाइम विज़िबिलिटी व पारदर्शिता अपनाने पर भी ज़ोर दे रहा है।

Once A Landfill Flowing Into A River, Now A Green Space In Mussoorie

कचरे की अधिकता के कारण "गढ़ीखान" लैंडफिल इतनी ऊँची हो गई थी कि यह "जीरो पॉइंट" और "लाइब्रेरी चौक" से भी दिखाई देती थी। यह न केवल पर्यटकों की आंखों में खटकती थी बल्कि मसूरी के निवासियों के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही थी।य ह लैंडफिल इस हद तक बड़ी हो गई थी कि इसका कचरा पास की नदी में गिरकर पानी को प्रदूषित करने लगा था।

एक होटल मालिक ने बताया कि गढ़ीखान लैंडफिल के पास मेरा होटल है और हम उस तरफ खिड़कियां भी नहीं खोलते थे क्योंकि इससे बदबू आती थी। आज ऐसा लगता है जैसे हमारे होटलों में एक नई जान फूंक दी गई है ”।

हिलदारी के चेयरपर्सन अर्जुन गुप्ता ने कहा कि “हम मसूरी को SWM के लिए एक मोड के रूप में स्थापित करने के मिशन पर हैं। बहुत जल्द यह भारत का सबसे स्वच्छ शहर होगा ”।

nearly two thousand vehicles returned from Mussorie due to new covid norms  after tourist flocked in states many parts - कोरोना से बेअसर पर्यटकों की  मसूरी में बढ़ती जा रही है भीड़,

 

हिलदारी की उपप्रबंधक नेहा शशिकुमार ने कहा, गढ़ीखान की सफ़ाई केवल अगलार नदी के लाभकारी नहीं है बल्कि यह यमुना नदी के लिए भी अतिआवश्यक थी।यह लैंडफिल हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर ऐसे विपरीत प्रभाव डाल रही थी, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

मसूरी घूमने का है प्लान

मसूरी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा, “हिलदारी में तकनीकी के प्रयोग से हम यह निश्चित करने में सक्षम रहे कि हमारे शहर से कहां और कितना कचरा उत्पन्न होता है।यह कचरे से निपटने का एक परिवर्तनकारी तरीका था और हम इसे आगे भी जारी रखेंगे।”

 

Created On :   17 May 2022 6:20 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story