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कटनी: गरीबों को मिले वाले राशन में चालीस लाख का घोटाला
डिजिटल डेस्क कटनी। शासकीय उचित मूल्य दुकान से राशन उठाने वाले पात्र-अपात्रों को चिन्हित करने में ही प्रशासन पिछले एक माह से उलझा हुआ है, ऐसे में राशन घोटाले की वह फाइल फिर से चर्चाओं में आ गई है। जिसकी कार्यवाही का दस्तावेज अलमारी में पिछले एक वर्ष से कैद है। दरअसल यह गड़बड़ी जिले के करीब 435 राशन दुकानों की है। यहां पर कार्डधारियों की संख्या से अधिक राशन का आवंटन कर दिया गया। लीड प्रबंधक, समिति प्रबंधक और विक्रेता हवा में उसका वितरण भी कर दिए। इसकी निगरानी तो खाद्य आपूर्ति विभाग और सहकारिता विभाग के अफसरों को करनी थी। इसके बावजूद वे आंखों में पट्टी बांधे रहे। शिकायत हुई तो अफसरों के कान खड़े हुए। पहले ढीमरखेड़ा और बहोरीबंद ब्लाक के दुकानों से यह गड़बड़ी निकली। जांच जैसे आगे बढ़ी तो अधिकांश दुकान इस दायरे में आ गए। शुरुआती दौर में 1 करोड़ 25 लाख रुपए की गड़बड़ी तत्कालीन एडीएम ने पकड़ी। इसके बाद विक्रेता लामबंद हुए और दोबारा जांच कराने की मांग की तो गोलमोल जांच के बाद घोटाले की राशि 40 लाख रुपए में आ गई। इसके बावजूद अफसर इस मामले में किसी भी दोषी को नहीं खोज सके।
पूरे मामले पर एक नजर-
यह बहुचर्चित घोटाला करीब दस वर्ष पुराना है। वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2012 तक राशन दुकानों को कार्डधारियों की संख्या से अधिक अनाज का आवंटन कर दिया गया। इसकी शिकायत हुई तो जबलपुर के अधिकारियों के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई। जांच में अधिकारियों ने पाया कि निर्धारित आवंटन की अपेक्षा दुकानों को अधिक राशन का वितरण किया गया है। दुकानों से राशन वितरण के संबंध में दस्तावेज जांच अधिकारियों ने मांगे, तो दुकानदारों कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके। ऊपर से जांच अधिकारियों पर ही यह दोषारोपण कर दिए कि उनकी बातें नहीं सुनी गई है। जिसके बाद जांच में पांच वर्ष का समय लग गया।
आठ माह बाद भी कार्यवाही शून्य-
जांच में ही कीमती समय अफसरों ने नष्ट कर दिया। जांच पूरी हुई तो कार्यवाही की फाइल भोपाल और जांच अधिकारियों के बीच ही घूमती रही। इस संबंध में दोबारा शिकायत 3हुई तो जांच प्रतिवेदन में इसी वर्ष जनवरी माह
में सहकारिता आयुक्त को उल्लेख किया गया कि तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सहकारिता जबलपुर के जांच प्रतिवेदन 19 नवंबर 2019 के अनुसार संबंधित समितियों के समिति प्रबंधक , विक्रेताओं को जिम्मेदार मानते हुए उनके विरुद्ध सेवा नियमों के विरुद्ध कार्यवाही करने तथा आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा की गई है। इस संबंध में कार्यवाही की जाए।
इस तरह से हुआ था खेल-
खाद्य विभाग के जानकारों की मानें तो यदि किसी दुकान में बीपीएल के दस और एएवाय के बीस ग्राहक हैं तो यहां पर राशन आवंटन पचास से सौ ग्राहकों का कर दिया। इसके लिए प्रत्येक जनपद से बीपीएल और एएवाय कार्डधारियों की संख्या खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा ली जानी थी। इसके बावजूद समिति प्रबंधकों से मिली भगत कर अफसरों ने विक्रेताओं के मुंह जुबानी में ही राशन वितरण कर दिया। अफसरों की प्रत्यक्ष हाथ होने से विक्रेता भी राशन हवा में बांट दिए, या फिर गरीबों के राशन को गोदामों में पहुंचाकर स्वयं सेहतमंद हुए अफसरों की भी सेहत बनाने का काम किए।
इनका कहना है-
इस संबंध में प्रमुख सचिव ने सहकारिता आयुक्त को पत्र लिखा है। उस समय लीड प्रबंधक और विक्रेता कौन रहे। जांच प्रतिवेदन में किसी का नाम उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए सहकारिता विभाग के अधिकारी ही यह बता सकते हैं कि उस समय राशन की गड़बड़ी में कौन-कौन से लोग शामिल रहे।
-पी.के.श्रीवास्तव, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी कटनी
Created On :   23 Aug 2020 7:53 PM IST