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कर्म ही देते हैं जीवन में सुख-दुख, अंत:करण से मिलती है प्रेरणा : सुधांशु महाराज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कर्म ही जीवन में सुख और दुःख देते हैं। जिसके जैसे कर्म होते हैं उसे अंतः करण से प्रेरणा भी वैसी ही प्राप्त होती है। यह उद्गार आचार्य सुधांशु महाराज ने विश्व जागृति मिशन की ओर से ‘आनंदधाम’ रेशमबाग में आयोजित विराट भक्ति सत्संग में व्यक्त किए।
प्रतिभा का उपयोग जनकल्याण व प्रभु प्राप्ति के लिए हो
आचार्यश्री ने कहा कि हमें प्रभु से प्रतिदिन प्रार्थना करनी चाहिए कि वे मानव की समस्त प्रतिभा का उपयोग जनकल्याण व प्रभु प्राप्ति के लिए हो। प्रभु को पाने में मानव की श्रद्धा होनी चाहिए। जब तक अंतःकरण की निर्मलता प्राप्त नहीं होती तब तक मुक्ति नहीं मिल सकती। भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि इस जन्म में मानव ने जो-जो कर्म किए हैं पुनर्जन्म में वही बुद्धि और प्रेरणा उसे प्राप्त होती है। अर्जुन को उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘मैं तुम्हें प्रेरणा देता हूं, पर करना तो तुम्हें ही है’। जो बुरे कर्म करते हैं, उन्हें दूसरे जन्म में भी बुरी प्रेरणा प्राप्त होती है। जैसे, महाभारत में दुर्योधन के आसपास शकुनी जैसे दुर्जन लोग फैले हुए थे। दुर्योधन बुरा तो था ही, उसे प्रेरणा भी बुरी ही प्राप्त होती रही। कर्ण दुर्योधन के साथ था, लेकिन वह उसे कभी सद्प्रेरणा नहीं दे सका।
प्रेरणा बनकर आते हैं गुरु
गुरु मानव जीवन में प्रेरणा बनकर आते हैं, परंतु गुरु की आवाज सुनना और कर्म करना स्वयं मानव के हाथ में है। गुरु शिष्य के मन में संवेदना का संचार करते हैं ताकि शिष्य प्रभु को प्राप्त करने का प्रयास कर सके। इसके लिए गुरु की प्रेरणा को सुनना जरूरी है। गुरु का सत्संग सुनना भी है और मार्ग को चुनना भी है। पहले श्रोता और फिर सुनने वाले विद्यार्थी बने। फिर साधक बनने के लिए गुरु के बताए नियम पर चलना सीखें। 29 दिसंबर तक सुबह 9 से 11.30 बजे व शाम को 4 से 6.30 बजे तक सत्संग होंगे। 28 दिसंबर को विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत गुरुमंत्र सिद्धि साधना सुबह 9 से 12 से बजे तक सुरेश भट्ट सभागृह, रेशमबाग में होगा। 29 दिसंबर को मंत्र दीक्षा सुबह 11.30 बजे आनंदधाम में होगी। विश्व जागृति मिशन की ओर से सभी भक्तों से उपस्थिति की अपील की गई है।
स्वास्थ्य का रखें विशेष ध्यान
आचार्यश्री ने साधकों को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि चीन में लोग 17 प्रकार की चाय पीते हैं, परंतु हमारे देश में लोग अनावश्यक ही आईसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक जैसी ठंडी चीजें खाते व पीते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। हमारे देश में भोजन में कोलेस्ट्रॉल बहुत ज्यादा मात्रा में लिया जाता है, जबकि कोलेस्ट्रॉल पहले से ही हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में होता है। आचार्य श्री ने कहा कि आज हृदय रोग की बीमारी सबसे खतरनाक है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में इसका कोई उत्तम इलाज उपलब्ध नहीं है। इसलिए अपने शरीर को हमेशा प्राणायाम के माध्यम से इस प्रकार का बनाकर रखें कि आपको कभी भी हृदय रोग न हो। प्रतिदिन अधिक से अधिक पैदल चलें। वाहनों का उपयोग कम करें।
Created On :   27 Dec 2019 1:10 PM IST