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परिवार छोड़कर नागपुर आए शख्स पर भुखमरी की नौबत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। रविवार का जनता कर्फ्यू उन लोगों के लिए तो बड़े आराम से गुजरा जिनके सिर पर छत थी, जिनका परिवार उनके साथ था। लेकिन शहर में कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें दिन भर भूखे प्यासे भटकना पड़ा। इनमें अधिकांश लोग ऐसे थे, जो भीख मांग कर या किसी कि रहमो करम पर अपने दिन काटते हैं। शहर के दीक्षाभूमि के पास हमें ऐसे ही एक बुजुर्ग मिले। नाम उत्तम शिंदे जिनकी उम्र 85 वर्ष है और वे उस्मानाबाद जिले के उमरा गांव निवासी है। उनका बेटा पुणे में फल विक्रेता है और बेटी की शादी हो चुकी है। अपने परिवार की कलह से परेशान होकर कुछ दिनों पूर्व उन्होंने घर छोड़ने का निर्णय लिया। 6 दिन पहले वे नागपुर आ गए। तब से वे दीक्षाभूमि परिसर में गुजर-बसर कर रहे है। मार्ग से गुजरने वाले लोग उन्हें खाने-पीने की मदद कर दिया करते हैं।
दीक्षाभूमि के सामने फुटपाथ पर डेरा
शिंदे ने दीक्षाभूमि के ठीक सामने फुटपाथ पर अपना डेरा जमा रखा है। उनके पास जलाने योग्य कुछ लकड़ियां, एक मैला कंबल और एक थैला नजर आया। रविवार दोपहर करीब 3 बजे हमने उन्हें दीक्षाभूमि के पास फुटपाथ पर परेशान अवस्था में देखा तो उनसे बात की। उन्होंने अपनी आप-बीती बताई। उनके अनुसार यहां रहते हुए उन्हें कुछ ही दिन हुए थे कि अचानक एका-एक दीक्षाभूमि के दरवाजे बंद हो गए। धीरे-धीरे क्षेत्र में सन्नाटा फैल गया। रविवार की सुबह तो और भी क्रूर रही। सुबह उठने के बाद घंटों तक सड़क से कोई नहीं गुजरा। हां पास ही की एक छोटे से होटल में रहने वाले युवक ने उन्हें सुबह नाश्ता दिया था। उसके बाद से उन्होंने कुछ नहीं खाया। रात का भी कुछ पता-ठिकाना नहीं है। इतना कष्ट के बाद भी उनकी घर लौटने की इच्छा नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो। दीक्षाभूमि जल्द खुले और भीक्षा मांग कर वे अपना गुजर-बसर कर सकें।
Created On :   23 March 2020 8:34 AM GMT