पंचतत्व में विलीन हुए डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य महाराज

पंचतत्व में विलीन हुए  डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य महाराज
पंचतत्व में विलीन हुए डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य महाराज


डिजिटल डेस्क जबलपुर। देश की शीर्ष संतों में शामिल जगद््गुरु डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य जी महाराज पंच तत्वों में विलीन हो गए। शनिवार को गीताधाम के समीप नर्मदा के किनारे उनका कोविड गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार किया गया। देश-विदेश में उनके लाखों की संख्या में शिष्य व अनुयायी थे। कोरोना की वजह से वे मौके पर तो नहीं पहुँच पाए लेकिन उन्होंने घर से ही महाराजश्री को नमन करते हुए अश्रुपूरित श्रद्धा सुमन अर्पित किए। हर तरफ शोक का माहौल रहा। आप नरसिंह मंदिर व गीताधाम ग्वारीघाट के संचालक, सनातन धर्म महासभा के संरक्षक तो थे ही, अभा संत समिति के उपाध्यक्ष व संस्थापक प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। आप अनेकों धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओं से जुड़े रहे। हर वर्ग से जुड़े लोगों ने उनके देहावसान के लिए अपूरणीय क्षति निरूपित किया।
बताया गया है कि डॉ. स्वामी नरसिंह दास महाराज ने उन्हें मुखाग्नि दी। गीताधाम ग्वारीघाट के नीचे नर्मदा तट पर केवल 5 व्यक्तियों के जाने की अनुमति थी, लिहाजा सरकारी कर्मचारियों के अलावा केवल पाँच व्यक्ति ही अंतिम यात्रा में सम्मिलित हो सके। डॉ. स्वामी नरसिंह दास महाराज ने कहा कि नियति के विधान की वजह से हम गुरुदेव के अंतिम दर्शन कराने में असमर्थ थे, इसके लिए खेद है।
यादों में रह गए-
शंकराचार्य जी के निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि संत समाज ने डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य को असमय ही खो दिया है। वे मेरे सहपाठी और अच्छे मित्र भी रहे, जो अब यादों में रह गए हैं।
धर्म जगत में शून्यता -
श्री सनातन धर्म महासभा के अध्यक्ष श्याम ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सहज, सरल संत जगद््गुरु डॉ. स्वामी श्यामदेवाचार्य जी महाराज के असामयिक ब्रह्मलोक गमन से संस्कारधानी के आध्यात्मिक व धर्म जगत में अचानक शून्यता व रिक्तता आ गई है। 

Created On :   17 April 2021 10:59 PM IST

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