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चुनावी सीजन में दिलचस्प सिंबॉल : किसी को फूलगोभी, तो किसी को खटिया, तो कहीं डिजिटल उपकरण
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर व रामटेक में चुनावी तस्वीर साफ होने के बाद अब उम्मीदवारों को मिले चुनाव चिह्न भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं। पारंपरिक चिह्नों के अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों को फूलगोभी, खटिया, सीसीटीवी कैमरा व बिस्कुट चुनाव चिह्न मिले हैं। लोगांे की जितनी दिलचस्पी अपने उम्मीदवारों को जानने की होती है, उतनी ही उत्सुकता उम्मीदवारों को मिले चिह्न को लेकर भी है। नागपुर व रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 46 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। नागपुर में 30 व रामटेक में 16 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। मान्यता प्राप्त पंजीकृत पार्टियों के चुनाव चिह्न लोगों को पहले से पता है, वहीं गैर-पंजीकृत पार्टियों व निर्दलीय उम्मीदवारों को अजब-गजब चिह्न मिलते हैं। वैसे प्रशासन की कोशिश यह होती है कि उम्मीदवारों द्वारा मांगे गए चिह्नों में से ही कोई एक दिया जाए।
ट्रैक्टर चलानेवाला व गन्ना किसान भी सिंबॉल
इस बार नागपुर व रामटेक में चुनाव में खड़े उम्मीदवारों को फूलगोभी, बिस्कुट, सीसीटीवी कैमरा, खटिया, लैपटाॅप, रबर स्टैम्प, हेलमेट, एयर कंडीशनर व आरी (सॉ), कांच का प्याला व फुटबॉल आदि सिंबॉल मिले हैं। फूलगोभी सिंबाॅल नागपुर व रामटेक में राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के उम्मीदवारों को मिला है। गन्ना किसान व ट्रैक्टर चलानेवाला किसान भी सिंबॉल मिला है। उम्मीदवारों को जितने सिंबॉल मिले हैं, उसकी जरूरत जनता को हर दिन पड़ती है।
चुनाव चिन्ह में डिजिटल उपकरणों की छाप, पंजीकृत दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए 198 चुनाव चिन्ह उपलब्ध
लोकसभा चुनाव लड़ने वाले राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पार्टी के प्रत्याशियों को छोड़कर गैर मान्यप्राप्त पंजीकृत दल और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए वितरित किए जाने वाले चिन्हों में डिजिटल उपकरण की छाप नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह के रूप में आधुनिक समय के लैपटॉप, कम्प्यूटर माउस, पेन ड्राइव, रोबोट, सीसीटीवी कैमरा और हेडफोन को जोड़ा गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने 198 चुनाव चिन्ह ‘मुक्त चिन्ह’ (फ्री सिंबल) घोषित किया है। राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पार्टियों के लिए चुनाव चिन्ह आरक्षित हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 87 मुक्त चिन्ह थे। उसमें से कुछ चिन्हों को हटाकर और नए चिन्हों का समावेश किया गया है। इससे गैर मान्यप्राप्त पंजीकृत दल और निर्दलीय उम्मीदवारों को 198 मुक्त चिन्हों में से अपना चुनाव चिन्ह चुनने का विकल्प है। चुनाव चिन्ह में ओखली, सूप, ग्रामोफोन, टाइपरायटर, डीजल पंप, चप्पल, बूट, टूथपेस्ट, टूथब्रश, रेजर, साबुनदानी, हेल्मेट, रिक्शा, ट्रक, हेलिकॉप्टर, जहाज, बैट, कैरम बोर्ड, फुटबॉल, हॉकी स्टिक, टेनिस रैकेट, बॉल, फूटबॉल खिलाड़ी, मोतियों के हार, हीरा, अंगूठी, मूल्यवान गहने, सितार समेत दैनिक इस्तेमाल में लाए जाने वाली अन्य सामग्री को चुनाव चिन्ह में शामिल किया गया है। चुनाव चिन्ह में गन्ना किसान, नारली के बाग, डीजल पंप, ट्रैक्टर चलाने वाले किसान, खेत में जुताई के लिए टीलर, कुएं शामिल हैं। चुनाव चिन्ह के रूप में गैस सिलेंडर, गैस चूल्हा, रेफ्रिजरेटर, मिक्सर, प्रेशर कुकर, हंडी, कढ़ाई, कांच का ग्लास, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, मटर, फलों की टोकरी, अनानास, अखरोट, बिस्कुट, ब्रेड और केक, ब्रेड टोस्टर को शामिल किया गया है।
स्टार प्रचारक नहीं इसलिए इस बार कुछ नेताओं की ही होगी सभा
इस बार लोकसभा चुनाव के प्रचार में वह तेजी नहीं देखने को मिल रही है, जिसकी आमतौर पर लोगों को अपेक्षा होती है। जानकारी के अनुसार, राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों का समय निर्धारित नहीं हाे पा रहा है। लिहाजा नागपुर व विदर्भ में प्रचार के पहले सप्ताह में स्टार प्रचारक कम ही नजर आएंगे। हालांकि सभी प्रमुख दल की ओर से कहा जा रहा है कि नेताओं की सभाओं का आयोजन एक दो दिन में होगा। फिलहाल यह तय हुआ है कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की शुरुआत पहले ही सप्ताह में होगी। 1 अप्रैल को वर्धा में वे भाजपा की प्रचार सभा को संबोधित करेंगे। 3 अप्रैल को गोंदिया में सभा की तैयारी चल रही है। मोदी की नागपुर में सभा की फिलहाल कोई खबर नहीं है। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह दूसरे सप्ताह में आ सकते है। प्रचार के अंतिम दिन 9 अप्रैल को नागपुर में उनकी सभा हो सकती है। कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी के 4 या 6 अप्रैल को नागपुर दौरे की जानकारी दी गई है। लेकिन अभी उनका सभा कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती की सभा 5 अप्रैल को होनेवाली है। उनके साथ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के आने का कार्यक्रम फिलहाल तय नहीं है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के दौरे के बारे में एक दो दिन में तारीख तय होने की जानकारी दी जा रही है।
चुनाव से पहले जिला परिषद चुनाव की हलचलें हुईं तेज
लोकसभा चुनाव के बाद नागपुर में एक बार फिर चुनावी हलचलें तेज होंगी। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नागपुर जिला परिषद चुनाव कराने की तैयारी शुरू हो गई है। यह एक तरह से राज्य की भाजपा सरकार के लिए सेमीफाइनल की तरह होंगे। खासकर नागपुर ग्रामीण के विधायकों के लिए यह अग्निपरीक्षा साबित होगी। उन्होंने पांच साल में जिले में कितना विकासकार्य किया है और मतदाताओं से कितने जुड़े रहे, चुनाव में इस पर मुहर लगेगी। हालांकि चुनाव की प्रक्रिया दो साल बाद शुरू होने से ग्रामीण मतदाताओं में उत्साह का अभाव है। ऐसे में यह देखना होगा कि पक्ष-विपक्ष मतदाताओं में कितना जोश भर पाते हैं। नतीजा यह निकला : ऐसे में जिप पदाधिकारी सहित अधिकारियों में भी उत्साह का अभाव दिख रहा है। न कोई नई योजना पर काम हो रहा है और न समस्याओं का समाधान।ग्रामीण नागरिक भी अब उबे से नजर आ रहे हैं। अब ठीक लोकसभा चुनाव तैयारियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद और पंचायत समिति के प्रभाग रचना की तारीखें घोषित की है। ऐसे में अब जिला परिषद के चुनाव लोकसभा के बाद और विधानसभा के पहले होने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं।
अब सरकार की यह कोशिश
सरकार की कोशिश है कि इसे विधानसभा के साथ में कराए। अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होने की चर्चा है। लेकिन चुनाव आयोग द्वारा इसे विधानसभा के पहले कराने की संभावना है। ऐसे में यह नागपुर ग्रामीण के विधायकों की भी अग्निपरीक्षा जैसा होगा। विधायकों के लिए विधानसभा चुनाव के लिए मूड भांपने का भी यह सही मौका भी होगा। यही कारण है कि विधायक लोकसभा चुनाव में अपनी सक्रियता अधिक बढ़ाने में जुट गए हैं।
Created On :   31 March 2019 7:20 PM IST