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मृदा स्वास्थ्य परीक्षण सिस्टम में संक्रमण, आटोमैटिक एब्सोर्पशन स्पेक्ट्रीमीटर बीमार
डिजिटल डेस्क कटनी/बंधी स्टेशनजिला मुख्यालय का मृदा स्वास्थ्य परीक्षण सिस्टम पूरी तरह से संक्रमि है। यहां पर मिट्टी के परीक्षण के लिए न तो मशीन है और न ही विभाग के पासतकनीकी अमला है। जिसके चलते इस कार्यक्रम में अफसर कागजी खानापूर्ति हीकर रहे हैं। कृषि उपज मंडी परिसर में इसका नजारा देखा जा सकता है। यहांपर पहुंचने के साथ ही बदहाली का दौर शुरु हो जाता है। आलम यह है कि यहअव्यवस्था उस लैब तक पहुंचती है, जहां पर तकनीकी अमला मिट्टी का परीक्षण करते हुए स्वाईल हेल्थ कार्ड बनाता है। 3000 के आसान टॉरगेट से भी कृषि विभाग कोसों दूर दिखाई दे रहा है। लापरवाही का आलम यह है कि खेतों से तो लक्ष्य के आसपास मिट्टी के नमूने ले लिए गए हैं, लेकिन अभी तक आधे से अधिक मिट्टी का परीक्षण नहीं हुआ है। स्वाईल हेल्थ कार्ड भी कार्यालय की शोभा बढ़ा रहा है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि आज भी कई किसानों को यह तक नहीं पता कि इस तरह की कोई योजना संचालित की जा रही है। मशीन चलाने के लिए अमला ही नहीं लैब में स्थापित आटोमैटिक एब्सोर्पशन स्पेक्ट्रोमीटर स्वयं बीमार है। मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों में सल्फर, जिंक, बोरॉन, आयरन, मैगनीज, कॉपर जैसे दर्जनों तत्व शामिल हैं। इसके बावजूद मशीन को चलाने के लिए तीन में से एक कर्मचारी ही यहां पदस्थ है। अर्थिंग के लिए 3 से 15 वोल्ट बिजली की आवश्यकता है। यह नहीं है। एएसएस मशीन को इन्वर्टर से कनेक्ट होना अनिवार्य है, लेकिन यहां की इन्वर्टर खराब है। स्टपलाइजर्स को भी सुधार की आवश्यकता है। ब्लाकों में भी लैब की दुर्दशा, जिम्मेदार अंजान मुख्यालय सहित अन्य ब्लाकों में भी लैब की दुर्दशा है। सभी विकासखण्डों में किसान कल्याण विभाग ने अधिकारी और कर्मचारी नियुक्त किए हैं। इसके बावजूद विभाग के अधिकारी मुख्यालय से ही मैदानों का निरीक्षण करते हुए ओके रिपोर्ट दे रहे हैं। अधिकांश कर्मचारी तो ऐसे हैं। जिन्हें शासन ने मैदान का काम दिया है। इसके बावजूद वे लिपिक बनकर कुर्सी का मजा ले रहे हैं। परेशान होते हैं किसान अन्नदाता लैब में पहुंचने के बाद परेशान होते हैं। यहां पर जिस तरह की व्यवस्था बनाई गई है। उसके आगे किसान बेवस नजर आते हैं। जिला मुख्यालय के इस लैब में पहुंचने के बाद सबसे पहले किसानों को कर्मचारियों को यहां-वहां खोजना पड़ता है। यदि कोई कर्मचारी मिल भी जाए तो जो मिट्टी लेकर किसान परीक्षण के लिए पहुंचता है। समय पर उसके जांच की कोई गारंटी नहीं रहती। किसान कमल पाण्डेय 10 एकड़ में खेती करते हैं, लेकिन रासयनिक खाद का उपयोग वे अनुमान के हिसाब से ही कर रहे हैं। किसान का कहना है कि मृदा परीक्षण के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है। आसपास के किसान जो सलाह देते हैं। उसी के हिसाब से वे खाद का उपयोग करते हैं। सुखदेव हल्दकार जो 7 एकड़ में खेती करते हैं। इन्हें भी मृदा परीक्षण केसंबंध में कोई जानकारी नहीं है। किसान का कहना है कि खेती को लाभ का धंधा नाने का काम अधिकारी कागजों में ही कर रहे हैं। जिसके चलते आज भी किसान कनीकी से अनभिज्ञ हैं। मटवारा के किसान शिवकुमार पटेल बताते हैं कि आज तक उनके पास कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा। जिसने मिट्टी परीक्षण की जानकारी दी हो। अन्यसाथियों से उन्हें पता चला कि केन्द्र में पहुंचने के बाद कई तरह की परेशानी होती है। जिसके चलते वे आज तक अपने खेतों की मिट्टी लेकर नहींगए। इनका कहना है एएसएस मशीन से वर्तमान समय में मिट्टी परीक्षण का काम चल रहा है। स्टाफ की जरुर कमी है। इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है। अन्य संसाधनों की भीमांग की गई है।
Created On :   12 Jan 2022 5:52 PM IST