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4 घंटे चूल्हे पर खाना बनाने से 10 पैकेट सिगरेट पीने के बराबर नुकसान
डिजिटल डेस्क,नागपुर। भारत में आउटडोर पॉल्यूशन से ज्यादा कहीं अधिक खतरा इनडोर पॉल्यूशन के कारण हैं। इसका अनुपात 85 : 15 है। भारतीय घरों में ईंधन के पारंपरिक स्रोतों लकड़ी, उपले, फसलों के बचे हुए चीजों का उपयोग कर चार घंटे तक खाना बनाने वाली महिलाओं को प्रतिदिन एक से दस पैकेट सिगरेट के बराबर नुकसान पहुंचता है। वातावरण में मौजूद पीएम पार्टिकल्स सांस के द्वारा शरीर में पहुंच कर स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं और कैंसर, हार्ट फेल से लेकर मानसिक बीमारियां तक का कारण बन रहे हैं। ये जानकारी डॉ. मानस रंजन ने दी। वे नीरी में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित व्याख्यान वायु प्रदूषण एवं स्वास्थ्य पहलू पर बोल रहे थे। वायु प्रदूषण किस तरह मानव स्वासथ्य को प्रभावित कर रहा है, इस विषय पर उन्होंने विस्तार से जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में नीरी के एनवॉयरमेंट बायोटेक्नोलॉजी एंड जियोनॉमिक्स के प्रमुख हेमंत पुराहित, वायु प्रदूषण नियंत्रण विभाग की विभागाध्यक्ष पद्मा राव और चीफ साइंटिस्ट जेएस पांडे उपस्थित थे।
इनडोर पॉल्यूशन बड़ी चुनौती
नब्बे के दशक से स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर काफी बड़े स्तर पर शोध कर रहे डॉ. मानस रंजन रे ने बताया कि भारत में इनडोर पॉल्यूशन स्वास्थ्य के लिए ज्यादा बड़ा खतरा है। देश में खाना बनाने के लिए उपयोग में बड़े स्तर पर बायोमास का उपयोग किया जाता है। बायोमास के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। इसके साथ ही आम तौर पर भारतीय घरों में उपयोग किए जाने वाले मोमबत्ती, दीये, अगरबत्ती, मच्छर भगाने वाले उत्पाद समेत शैंपू और परफ्यूम जैसी चीजें भी प्रदूषण का कारण बन सकती हैं। उन्होंने सांस संबंधी किसी भी बीमारी से ग्रस्त लोगों को इन चीजों के उपयोग के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी और साथ ही अगरबत्ती, दीये के उपयोग के समय खिड़की दरवाजे खुले रखने की भी सलाह दी।
इनडोर पॉल्यूशन के बड़े कारक
खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला ईंधन, इनमें क्रमश: बायोमास, मिट्टी का तेल, एलपीजी का उपयोग होता है। उपयोग के क्रम में ही ये वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। {मोमबत्ती और दीए {मच्छर भगाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले उत्पाद (एक क्वायल 100 सिगरेट के बराबर वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार) {अगरबत्ती {फर्नीचर व बिजली से चलने वाले घरेलू उपकरण (आधुनिक फर्नीचर में उपयोग में लाया जा रहा एडेसिव वायु प्रदूषण का स्रोत) {पर्सनल केयर प्रोडक्ट, शैंपू, परफ्यूम, डियो, जिनमें पैराबीन, थाइलीन या टारडाइन हो)।
Created On :   7 Jun 2019 12:58 PM IST