राशन दुकानों में उपभोक्ताओं और ग्राहकों के बीच बढ़ी तकरार

Increased dispute between consumers and customers in ration shops
राशन दुकानों में उपभोक्ताओं और ग्राहकों के बीच बढ़ी तकरार
पीएमजी में मुफ्त गेहूं मिलना बंद राशन दुकानों में उपभोक्ताओं और ग्राहकों के बीच बढ़ी तकरार

डिजिटल डेस्क,कटनी। उचित देखरेख और सही समय पर उठाव नहीं होने के कारण जहां प्रदेश स्तर के वेयर हाउस में लाखों मीट्रिक टन गेहूं की बर्बादी हो गई और बाद में कई जिलों में औने-पौने दाम में इसकी नीलामी की गई तो दूसरी तरफ गरीबों के डाइट चार्ट को भी जिम्मेदारों ने बदल दिया। गेहूं में कटौती हो जाने के कारण राशन दुकानों में उपभोक्ताओं और दुकानदारों के बीच रोजाना तकरार हो रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त में बंटने वाले अनाज में हितग्राहियों के हिस्से से गेहूं गायब है तो रुपए देने के बाद भी हितग्राहियों को गेहूं नही मिल रही है। मई तक जहां राशन कार्ड में एक सदस्य के हिसाब से 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल राशन दुकानों से दिया जाता था। वहीं अब एक सदस्य को 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल थमाया जा रहा है। इसका असर 2 लाख परिवारों पर पड़ा है। सामान्य दिनों में 23 सौ मीट्रिक टन गेहूं और 15 सौ मीट्रिक टन चावल का आवंटन होता था। अब गेहूं की मात्रा कम कर दी गई है तो चावल की मात्रा बढ़ा दी गई है।

8 लाख लोगों पर असर

इसका सीधा असर 8 लाख लोगों पर पड़ा है। इस तरह से करीब 10 लाख क्विंटल गेंहू की कटौती करते हुए इसके जगह पर चावल का आवंटन बढ़ा दिया गया है। इधर गेहूं आवंटन नहीं होने का फायदा भी कुछ दुकानदार उठा रहे हैं, जब उपभोक्ता राशन दुकानों में अनाज लेने पहुंचता है तो उन्हें यह कह दिया जाता है कि गेहूं का आवंटन ही नहीं हुआ है। जो उपभोक्ता जागरुक रहता है और वह इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से कर सकता है। उसे बाद में आवंटन के हिसाब से गेहूं तो दे दिया जाता है, लेकिन अधिकांश हितग्राही बगैर गेहूं के ही लौट रहे हैं।

बाजार से खरीदने को मजबूरी

राशन दुकानों में गेहूं नहीं मिलने से गरीब तबके के उपभोक्ता बाजार से मंहगें दामों में गेहूं खरीदने को विवश हैं। इस बार गेहूं खरीदी भी कम हुई है। जिससे बाजार में प्रति क्विंटल गेंहू के दाम 22 सौ रुपए से लेकर 25 रुपए प्रति क्विंटल है। अधिकांश हितग्राहियों के पास इतने अधिक रुपए नहीं होते कि वे एक साथ एक क्विंटल गेहूं खरीद सकें। जिसके बाद उनके पास आटा खरीदने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता। इसके लिए प्रति किलो उन्हें 30 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। यह स्थिति सभी हितग्राहियों के साथ बनी हुई है। इस संबंध में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आवंटन ही कम हुआ जिसके चलते यह वितरण व्यवस्था अपनाई गई है। यदि आगामी समय में आवंटन प्राप्त होता है तो निर्धारित मात्रा के अनुरूप हिताग्राहियों को गेहूं दिया जाएगा।
 

Created On :   25 Jun 2022 5:12 PM IST

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