रुक्मणी विवाह मे भक्तों ने पखारे पैर और सुदामा चरित्र पर आंखे हुयी नम

In the Rukmani marriage, the devotees got wet on their feet and Sudamas character.
रुक्मणी विवाह मे भक्तों ने पखारे पैर और सुदामा चरित्र पर आंखे हुयी नम
शाहनगर रुक्मणी विवाह मे भक्तों ने पखारे पैर और सुदामा चरित्र पर आंखे हुयी नम

डिजिटल डेस्क, शाहनगर.। नगर में  चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में बुधवार को कथा व्यास श्याम सुन्दर दास महाराज द्वारा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ मे रुक्मिणी विवाह और सुदामा चरित्र का अनुपम वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सुदामा की पत्नि सुशीला ने अपने पति से कहा कि तुम अपने मित्र द्वारकाधीश से मिलने जाओ जिससे इस द्ररिद्रता का निवारण हो सके और उन्होने पडोस से तीन मुठ्ठी चावल भेंट स्वरूप अर्पित करने के लिये दिये असहवेदना और अधिक परिश्रम करके सुदामा श्री कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी पहुंचे। जहां तीन मुी चावल की भैंट श्री कृष्ण ने अथाह प्रेम एवं ममता पूर्ण स्नेह से अंगीकार कर दो मुी सुखे ही स्वाद से खाने लगे शेष एक मु_ी चावल के लिये  जैसे ही उन्होंने हाथ बढाया तभी पटरानी रुक्मणी जी ने अपने लिये भी प्रसाद स्वरूप याचना की। जिसके बदले में श्रीकृष्ण ने सुदामा को दरिद्रता दूर कर धनवान बना दिया। इस दौरान आपस के मिलन का भावपूर्ण चित्रण सुनाया। श्रीकृष्ण ने अपने आसूंओं से सुदामा के चरण धोए और अच्छे कपडे पहनाकर ऊंचे आसन पर बैठाया। कथा के दौरान श्री कृष्ण-सुदामा के मिलन की सजीव झांकी सजाई गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने झांकी पर गुलाब की पंखुडियां बरसाकर स्वागत किया। इसके बाद रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। आगे की कथा का वाचन करते हुए कहा की श्रीकृष्ण से प्रेम देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी जी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण की साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। रुक्मणी की भगवान के प्रति लगन, आस्था और उनकी इच्छा के चलते भगवान ने उनका वरण किया। कथा के समापन पर गुरूवार को परिक्षित मोक्ष के ह्रदयग्राही एवं अनुकरणीय चित्रण किया गया। 

Created On :   25 Feb 2022 2:07 PM IST

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