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उज्जयिनी की सांस्कृतिक विरासत को कायम रखते हुए कोविड-19 की गाईड लाइन के अनुसार अ.भा.कालिदास समारोह का आयोजन होगा
डिजिटल डेस्क, उज्जैन। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव की अध्यक्षता में अखिल भारतीय कालिदास समारोह की स्थानीय समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि कोविड-19 की गाईड लाइन का पालन एवं उज्जयिनी की सांस्कृतिक विरासत को कायम रखते हुए सप्तदिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन होगा। समारोह कालिदास संस्कृत अकादमी, विक्रम विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय आदि को जोड़कर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। समारोह में परम्परा को कायम रखते हुए अखिल भारतीय कालिदास समारोह का कार्यक्रम का निर्वहन किया जायेगा। डॉ.मोहन यादव ने कहा कि सप्तदिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह का कार्यक्रम अलग-अलग स्थलों पर हो, ताकि कोरोना को ध्यान में रखते हुए कम से कम भीड़ एक स्थान पर रहे। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने कहा है कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह परम्परा अनुसार आयोजित किया जाये, परन्तु कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए शासन की गाईड लाइन का अनिवार्यत: पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया जाये। बैठक में विधायक श्री पारस जैन ने कहा कि समारोह में कोविड-19 में राज्य सरकार एवं भारत सरकार की गाईड लाइन का पालन किया जाये। डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित ने कहा कि समारोह में विक्रमादित्य शोध प्रतिष्ठान को जोड़ा जाकर कालिदास एवं विक्रमादित्य पर प्रकाश डाला जाये। डॉ.बालकृष्ण शर्मा ने सुझाव दिया कि प्रतिवर्ष कालिदास समारोह में महाविद्यालयीन छात्रों को निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति रहती है, परन्तु इस वर्ष कोरोना महामारी को देखते हुए देश के सभी महाविद्यालयों के छात्रों की निबंध प्रतियोगिता ऑनलाइन हो, ताकि छात्रों की प्रतिस्पर्धा बरकरार रहे। पं.आनन्दशंकर व्यास ने सुझाव दिया कि कालिदास समारोह में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि का राष्ट्रीय एवं स्थानीय चैनलों पर व्यापक रूप से प्रसारित कराया जाये, ताकि अधिक से अधिक जनता लाभ ले सके। श्री रूप पमनानी ने कहा कि कालिदास समारोह की स्थानीय समिति में सुखद चर्चा हुई है और सांस्कृतिक विरासत को कायम रखते हुए कार्यक्रम की अनुमति प्राप्त हुई। श्री संजीव पंजाबी ने कहा कि कोरोनाकाल में महाविद्यालयों के एनएसएस के छात्रों ने कार्य किया है, उन्हें भी चल समारोह में कम संख्या में भाग लेने की अनुमति दी जाना चाहिये। श्री प्रकाश रघुवंशी ने कहा कि समारोह के विभिन्न बिन्दुओं पर सार्थक चर्चा हुई है। अखिल भारतीय कालिदास समारोह देवप्रबोधिनी एकादशी मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया विक्रम संवत 2077 तदनुसार 25 नवम्बर से एक दिसम्बर तक आयोजित होगा। समारोह के एक दिन पूर्व 24 नवम्बर को वागर्चन मां गढ़कालिका मन्दिर में पूजन-अर्चन होगा और इसी दिन मंगल कलश स्थापना शिप्रा नदी से जल लाकर श्री महाकालेश्वर भगवान को प्रणाम करते हुए अकादमी में प्रतीकात्मक रूप से निकाली जायेगी। चल समारोह प्राचीन स्वरूप में चलायमान रहेगा। कालिदास समारोह के उद्घाटन एवं समापन में मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तथा सारस्वत अतिथि पर अलग से विचार संख्या कम कर की जायेगी। निमंत्रण-पत्र तथा समारोह का प्रचार-प्रसार ऑनलाइन किया जायेगा। इसी तरह राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शन का उद्घाटन भी सांकेतिक किया जायेगा। समारोह में परम्परा अनुसार साहित्यिक कार्यक्रमों, राष्ट्रीय संगोष्ठी, लोकप्रिय व्याख्यान, संस्कृत कवि संवाद आदि कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। समिति के निर्णय उपरान्त केन्द्रीय समिति की बैठक में अन्य बिन्दुओं पर विचारोपरान्त निर्णय लिया जायेगा। बैठक में विक्रम विश्वविद्यालय कालिदास समिति के सचिव प्रो.शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा कालिदास अकादमी में उद्घाटन समारोह 25 नवम्बर को राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शन का शुभारम्भ होगा। इसी दिन व्याख्यान एवं संस्कृत नाटक की प्रस्तुति होगी। अगले दिन 26 नवम्बर को विक्रम कालिदास पुरस्कार, राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का कार्यक्रम होगा। 27 नवम्बर से 30 नवम्बर तक विक्रम विश्वविद्यालय की विविध अध्ययनशालाओं में कालिदास साहित्य पर केन्द्रित पर्यावरण विज्ञान और प्रोद्योगिकी, मानव मूल्य, संस्कृति दर्शन, परवर्ति साहित्य पर प्रभाव, पांडुलिपि विज्ञान, अर्थ चिन्तन, जीवन प्रबंधन व्याख्यान/शोध संगोष्ठी एवं शोधपत्र का वाचन किया जायेगा। इसी तरह एक दिसम्बर को समापन समारोह के अवसर पर विक्रम शोध पत्रिका के विशेषांक का लोकार्पण किया जायेगा और पुरस्कृत शोधपत्रों के लेखकों को पुरस्कार वितरण कर सम्मानित किया जायेगा। बैठक में पुलिस अध%
Created On :   10 Nov 2020 3:03 PM IST