गोंडवाना परिक्षेत्र की धरती पर आकर मुझे प्रसन्नता हुई-राष्ट्रपति

I was happy to come to the land of Gondwana enclave - President
गोंडवाना परिक्षेत्र की धरती पर आकर मुझे प्रसन्नता हुई-राष्ट्रपति
गोंडवाना परिक्षेत्र की धरती पर आकर मुझे प्रसन्नता हुई-राष्ट्रपति


डिजिटल डेस्क दमोह। देश के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद पहली बार जिले के सिंग्रामपुर में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित हुए। इस मौके पर उन्होंने सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण के लिए होने वाले कार्यों का शिलान्यास किया। साथ बेलाताल झील के निर्माण कार्यों का वर्चुअल रूप से भूमिपूजन व मूर्तियों को लोकार्पण किया। राष्ट्रपति करीब दो घंटे तक मंच पर रहे। इस दौरान उन्होंने सांस्कृति प्रस्तुतियां, रानी दुर्गावती किले पर फिल्म देखी। साथ ही होनहार जनजातीय प्रतिभाओं को सम्मानित किया। इस मौके पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गनसिंह कुलस्ते भी मंचासीन रहे।
जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गोंडवाना परिक्षेत्र की धरती पर आयोजित इस कार्यक्रम में आप सब के बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई है। उन्होंने प्रहलाद पटेल के साथ हुई बात को बताते हुए कहा कि मैने उनसे मुलाकात के दौरान कहा था कि जबलपुर में बड़ा आयोजन संभावित है। मैंने पूछा कि आपका क्षेत्र  दमोह कितना दूर है। बोले कि आपने बताया था कि अपना क्षेत्र भौगोलिक, आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से काफी पिछड़ा क्षेत्र है। उसमें बाहुल्य रूप से जनजातीय वर्ग निवास करता है। कार्यक्रम बने तो जरूर बनाइए। रानी दुर्गावती के बारे में सुना जरूर था, बताया गया कि उनका किला व साम्राज्य दमोह जिले में ही पड़ता है। तब मैने प्रहलादजी से कहा कि जब जबलपुर में न्याय की चर्चा करूंगा और देश का जो आपका जिला आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा क्षेत्र हो, सामाजिक दृष्टि से जनजातीय वर्ग यदि उन सब के न्याय की बात हम नहीं कर सकें तो मेरा राष्ट्रपति के पद पर रहने का बहुत औचित्य नहीं बनता। प्रहलाद सिंह बहुत भावुक हो गए थे। कहा था कि आपने स्वयं प्रस्ताव दिया है अभारी हूं। सही मायने में मैं आपका आभारी हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन की बात होती है तो हम अपने स्व. अटल बिहारी बाजपेयी पूर्व प्रधानमंत्री को स्मरण करते है। वह जब प्रधानमंत्री थे तो देश के सरकारों की व्यवस्था बनी है तब भारत सरकार में जनजातीय मंत्रालय का गठन किया था। उसके पीछे उनका भाव था कि जब हम समाज के सभी वर्गों के उनकी भावना की कद्र करते है, उनकी विकास की बात करते है। तो समाज का सबसे पीछे खड़ा व्यक्ति पीछे छूट जाता है। इसीलिए मैं चाहता हूं कि मंत्रालय बने। उन्होंने कहा कि आज मुझे रानी दुर्गावती की मूर्ति पर पुष्प अर्पित करते का सौभाग्य मिला। प्रस्तुत किए गए कार्यक्रमों की सराहना की।

 

Created On :   7 March 2021 11:05 PM IST

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