राज्य मानवाधिकार आयोग कैसे कर सकता है रेसकोर्स की जमीन के मसले की सुनवाई

How can the State Human Rights Commission hear the race course land issue
राज्य मानवाधिकार आयोग कैसे कर सकता है रेसकोर्स की जमीन के मसले की सुनवाई
हाईकोर्ट राज्य मानवाधिकार आयोग कैसे कर सकता है रेसकोर्स की जमीन के मसले की सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बांबे हाईकोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग को महालक्ष्मी रेसकोर्स की 220 एकड़ जमीन के लीज नवीनीकरण से जुड़े मुद्दें की सुनवाई करने से रोक दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया आयोग ने कैसे इस मामले की सुनवाई का स्वतः संज्ञान लिया है यह हमारी समझ से परे है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने रेसकोर्स की जमीन के लीज के मुद्दे को लेकर 17 फरवरी 2023 को राज्य सरकार को आदेश जारी किया था।जिसके खिलाफ राज्य के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

इस याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने राज्य मानवाधिकार आयोग को मामले की सुनवाई करने से रोक दिया। इससे पहले आयोग ने रेसकोर्स की जमीन के नवीनीकरण को लेकर जानकारी न देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव मनुकुमार श्रीवास्तव,मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त इकबाल सिंह चहल व नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव पर दस-दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। किंतु अब खंडपीठ ने आयोग को रेसकोर्स से जुड़े मामले की सुनवाई करने से रोक दिया है।

खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह बात हमारी समझ से परे है कि आयोग कैसे इस मामले का स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर सकता है। यह उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है। क्योंकि यह पूरी तरह से कांट्रेक्ट से जुड़ा मसला है। इसलिए अंतरिम राहत के तौर पर रेसकोर्स से जुड़े प्रकरण को लेकर आयोग के सामने प्रलंबित सुनवाई पर रोक लगाई जाती है। गौरतलब है कि रेसकोर्स की जमीन रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब को मई 1994 में लीज पर दी गई थी। यह लीज मई 2013 में खत्म हो गई है। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 15 मार्च 2023 को सुनवाई रखी है। 

 

Created On :   13 March 2023 8:24 PM IST

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