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हाईकोर्ट: ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति और रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर सख्ती से लगाई जाए रोक
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने गुरुवार को केन्द्र सरकार को ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने कहा है कि दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन के टैंकर नहीं रोके जाएँ। गुरुवार को सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने मौखिक आदेश में कहा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को सख्ती से रोका जाए। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है। जिसके शुक्रवार को आने की संभावना है।
मामले में कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने डिवीजन बैंच को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रदेश में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी बनी हुई है। हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने आवेदन दायर कर कहा था कि बोकारो से ऑक्सीजन लेकर सागर रवाना हुए टैंकर को बीच रास्ते में झांसी में रोक लिया गया। इसके कारण ऑक्सीजन टैंकर 16 घंटे विलंब से सागर पहुँचा। राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि ऑक्सीजन टैंकर को छोड़ दिया गया है। डिवीजन बैंच ने निर्देश दिया है कि ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति की जाए। इसके साथ ही डिवीजन बैंच ने रेमडेसिविर की सप्लाई नीति पर भी असंतोष जताया है। राज्य सरकार को रेमडेसिविर की सप्लाई की व्यवस्था फुल प्रूफ बनाने के निर्देश दिए हैं जिससे रेमडेसिविर की कालाबाजारी को रोका जा सके। इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने आवेदन दायर कर निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट अनिवार्य किए जाने की माँग की है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली और केन्द्र सरकार की ओर से अधिवक्ता विक्रम सिंह ने पक्ष प्रस्तुत किया।
36 घंटे में मिले आरटीपीसीआर रिपोर्ट-
डिवीजन बैंच ने कहा है कि कोरोना टेस्ट की आरटीपीसीआर रिपोर्ट 36 घंटे में दी जाए जिससे संक्रमित लोगों का जल्द इलाज शुरू किया जा सके। प्रदेश में कोरोना टेस्ट के सैम्पल बढ़ाने और प्राइवेट लैब में टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
Created On :   29 April 2021 10:34 PM IST