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हाईकोर्ट ने कहा- खुले में भीग रहे अनाज को तत्काल सुरक्षित करने का इंतजाम करो
डिजिल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने प्रदेश में बारिश से भीगकर सड़ रहे अनाज पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि अनाज को हर हाल में सडऩे से बचाया जाए। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को आदेशित किया है कि प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया जाए कि खुले में भीग रहे अनाज का सर्वे कराकर तत्काल पॉलीथिन या अन्य किसी विधि से सुरक्षित करने का इंतजाम किया जाए। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार से इस संबंध में 23 जून को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार, एफसीआई, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव एवं मप्र वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है।
भास्कर की खबरों को बनाया आधार-
यह जनहित याचिका सिविल लाइन्स निवासी अधिवक्ता गुलाब सिंह की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि भंडारण क्षमता की कमी और संरक्षण के अभाव में हर साल लाखों टन अनाज सड़ जाता है। हाल ही में बारिश से प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर अनाज बारिश से भीग गया है। याचिका में दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए कहा कि केवल जबलपुर और रीवा संभाग में लगभग 10 लाख टन अनाज खुले में रखा हुआ है, जो बारिश में खराब हो सकता है। याचिका में कहा कि यदि पूरे प्रदेश की स्थिति को देखा जाए तो यह आँकड़ा आठ से दस गुना हो सकता है। सड़ रहे अनाज को गरीबों में बाँटने का अनुरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और हिमांशु मिश्रा ने कहा कि पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज मामले में सुप्रीम कोर्ट के दृष्टांत के अनुसार यदि सरकार अनाज को सुरक्षित नहीं रख सकती तो उसे गरीबों में बाँटना उचित होगा। सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत के अनुसार सड़ रहे अनाज को गरीबों को बाँटने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015 में हाईकोर्ट ने गोदामों में अनाज के उचित भंडारण का आदेश जारी किया है, लेकिन पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए।
शराब बनाने के लिए बेचा जाएगा खराब अनाज-
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार किसानों से 1970 रुपए प्रति क्विंटल की एमएसपी पर गेहूँ खरीद रही है। सरकारी लापरवाही से सडऩे वाले अनाज को 2 से 3 रुपए किलो में शराब बनाने के लिए हर साल बेच दिया जाता है। याचिका में इस मामले की भी जाँच कराने का अनुरोध किया गया है।
सरकार के पास आँकड़े मौजूद, फिर भी लापरवाही-
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के नियम के अनुसार किसानों को यह जानकारी देना जरूरी होता है कि उसने कितने एकड़ में फसल बोई है। इससे सरकार के पास पहले से ही फसल की आवक के आँकड़े मौजूद होते हैं, इसके बाद भी सरकार अनाज के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं करती है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
Created On :   15 Jun 2021 10:01 PM IST