गर्भवती किशोरी को चाइल्ड केयर होम भेजने का आदेश, किशोरी ने माता-पिता के साथ जाने से किया इनकार

High court order to send pregnant teenager to child care home
गर्भवती किशोरी को चाइल्ड केयर होम भेजने का आदेश, किशोरी ने माता-पिता के साथ जाने से किया इनकार
गर्भवती किशोरी को चाइल्ड केयर होम भेजने का आदेश, किशोरी ने माता-पिता के साथ जाने से किया इनकार

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने गर्भवती किशोरी को बालिग होने तक छतरपुर चाइल्ड केयर होम भेजने का आदेश दिया है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने यह आदेश किशोरी के माता-पिता के साथ जाने से इनकार करने के बाद दिया है। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि बालिग होने के बाद किशोरी अपनी मर्जी से किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र होगी।

बालिग होने के बाद किशोरी अपनी मर्जी से रहने की स्वतंत्र होगी

छतरपुर खजुराहो निवासी एक महिला की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 31 मई 2019 को उसकी 17 वर्षीय नाबालिग बेटी का क्षेत्र में ही रहने वाले मूरज पाल नामक युवक ने अपहरण कर लिया है। खजुराहो थाने में बेटी के अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई गई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने पुलिस को किशोरी को तलाश कर कोर्ट के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था। पुलिस ने किशोरी की तलाश कर कोर्ट के समक्ष पेश किया। शासकीय अधिवक्ता मधुर शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि आरोपी को अपहरण और दुष्कर्म के प्रकरण में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। किशोरी ने कोर्ट को बताया कि उसे चार माह का गर्भ है। वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती है। एकल पीठ ने गर्भवती किशोरी को बालिग होने तक छतरपुर चाइल्ड केयर होम भेजने का आदेश दिया है। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि बालिग होने के बाद किशोरी अपनी मर्जी से किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र होगी।

अंग्रेजी में बढ़े 7 अंक, संशोधित अंक सूची देने का आदेश

हाईकोर्ट के आदेश पर जब एक छात्रा की अंग्रेजी की उत्तर पुस्तिका की जांच कराई गई तो 7 अंक और बढ़ गए। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने माध्यमिक शिक्षा मंडल को आदेशित किया है कि छात्रा को 30 दिन में संशोधित अंक सूची दी जाए। सरस्वती शिशु मंदिर सागर की बारहवीं की छात्रा नीलम लोधी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसे अंग्रेजी विषय में 56 अंक मिले, जो उसकी उम्मीद से काफी कम है। एकल पीठ के आदेश पर छात्रा की उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच कराई गई। दोबारा जांच में अंग्रेजी में 56 अंक से बढ़कर 63 अंक हो गए। छात्रा के अंक बढऩे के बाद एकल पीठ ने माशिमं को 30 दिन में छात्रा को संशोधित अंक सूची देने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पैरवी की।
 

Created On :   28 Aug 2019 2:01 PM IST

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