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हाईकोर्ट : अब 5 गुना बढ़ाया दुर्घटना मुआवजा, मराठा आरक्षण को लेकर सामान्यवर्ग कर्मचारियों ने भी दी दलील

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र प्रशासकीय न्यायाधिकरण (मैट) में सरकार ने मराठा आरक्षण को पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू न करने की भूमिका ली है लेकिन वास्तविक रुप से मराठा आरक्षण को लागू करने के लिए सामान्यवर्ग के लोगों की नियुक्ति को रद्द किया जा रहा है। गुरुवार को सामान्य वर्ग के सरकारी कर्मचारियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सदाव्रते गुणरत्ने ने यह दावा किया और याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया। अलग-अलग विभागों के 13 सरकारी कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। गुरुवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।
हाईकोर्ट ने पांच गुना बढ़ाया दुर्घटना मुआवजा
लोहे की सरिया से लदे हुए ट्रक से टकराने के कारण हुई दुर्घटना के कारण मौत का शिकार हुए एक युवक के परिजन को बांबे हाईकोर्ट ने 30 साल बाद पांच गुना मुआवजा प्रदान करने का आदेश दिया है। नाशिक एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी व ट्रक मालिक को रमेश पगर की विधना पत्नी व उसके तीन बच्चों को 92 हजार रुपए नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया था। जिसे हाईकोर्ट ने बढा कर पांच लाख 47 हजार कर दिया था। जो की पहले के रकम का पांच गुना है। मुआवजे की रकम को बेहद कम मानते हुए पगर की पत्नी प्रमिला ने हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील में प्रमिला ने दावा किया था कि 16 दिसंबर 1989 को जब उसके पति दुर्घटना का शिकार हुए थे तो उनकी उम्र 30 साल थी और प्रति माह 20 हजार रुपए कमाते थे। इस लिहाज से उन्हें दिया गया मुआवजा उचित नहीं है। मुआवजे के संबंध में ट्रिब्यूनल का आदेश खामीपूर्ण है। न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई के सामने प्रमिला की अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान प्रमिला की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने दावा किया कि मेरे मुवक्किल के पति हल्के दो पहिया वाहन (मोपेड) से नाशिक हाईवे पर जा रहा थे। उनका गाड़ी वहां पर खड़े ट्रक से टकरा गई। ट्रक में क्षमता से अधिक लोहे की सरिया भरी होने के कारण सरिया ट्रक के बाहर निकली हुई थी। ट्रक का टायर फचने के कारण वह वहां खड़ी थी। नियमानुसार ऐसे वाहन में पार्किंग लाइट हमेशा जलनी चाहिए। ट्रक के खड़े होने को लेकर कोई सतर्कता चिन्ह नहीं लगाया गया था। इसलिए पूरी तरह से दुर्घटना के लिए ट्रक ड्राइवर जिम्मेदार है। वहीं ट्रक मालिक व बीमा कंपनी ने दावा किया कि दुपाहिया वाहन चालक काफी तेजी से गाड़ी चला रहे थे। उनकी लापरवाही के चलते हादसा हुआ है। क्योंकि ट्रक जहां खड़ा था उसके अगल बगल काफी जगह थी। दुपहिया वाहन चालक चाहता तो वहां से निकल सकता था। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने टिब्यूनल के आदेश को खामी पूर्ण माना। इसके साथ ही कहा कि टिब्यूनल ने जब अपना फैसला सुनाया उस समय ट्रक के ड्राइवर की गवाही तक नहीं दर्ज की। ऐसे में ट्रिब्युनल ने अनुमान के आधार पर यह माना है कि दुपहिया वाहन चालक की गलती थी। चूंकी घटना के समय ड्राइवर वहां पर मौजूद नहीं था इसलिए टिब्यूनल के इस निष्कर्ष को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा ट्रिब्युनल ने मुआवजे सही नहीं आका है। इसलिए उसे बढाया जाता है। इस तरह से न्यायमूर्ति ने मुआवजे की रकम को 92 हजार से बढाकर कर नौ प्रतिशत ब्याज के साथ पांच लाख 47 हजार रुपए कर दिया।
डीएचएफएल के प्रमोटरों के देश छोड़ने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
बांबे हाईकोर्ट ने दिवान हाउसिंग फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के प्रमोटर धीरज वाधवान व कपिल वाधवान के अदालत के अगले आदेश तक देश छोड़कर जाने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यह आदेश 63 मून टेक्नोलाजी कंपनी की ओर से दायर किए गए दावे पर सुनवाई के बाद जारी किया है। कंपनी ने डीएचएफल को उसके बकाया करीब 200 करोड रुपए के भुगतान करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। याचिाक में दावा किया गया है कि यदि वाधवान को विदेश जाने की अनुमति दी गई तो वे वहां से भाग सकते है। इसलिए आश्वस्त किया जाए कि वे देश छोड़कर न जाए। न्यायमूर्ति एसजे काथावाल ने सुनवाई के बाद गुरुवार को कहा कि डीएचएफल के प्रमोटर हाईकोर्ट के अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकते है। न्यायमूर्ति ने मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को रखी है।
Created On :   7 Nov 2019 10:44 PM IST